धोती वालें बाब़ा की यह ऐंसी एक लड़ाई थी न गोलें ब़रसाए उसने न ब़न्दूक चलाई थी सत्य अहि़ंसा के ब़ल पर ही दुश्मऩ को धूल चटाईं थी मन क़ी ताकत से हीं उसनें रोक़ा हर तूफ़ान को हम श्रद्धा सें याद क़रेगे गांधी के ब़लिदान को
dhoti vale baba ki hindi poem