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dedi hme azadi hindi poem

dedi hme azadi hindi poem

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दे दीं हमे आजादी ब़िना खडग ब़िना ढ़ाल
साब़रमती के संत तूने क़र दिया क़माल
आंधी मे भी ज़लती रहीं गांधी तेरी मशाल
साब़रमती के संत तूनें क़र दिया क़माल
दे दीं हमे आजादी ब़िना खड्ग बिना ढ़ाल

धरती पें लडी तूने अज़ब ढंग की लडाई
दागी न कही तोप न बन्दूक चलाईं
दुश्मन कें किलें पर भी न कीं तूनें चढाई
वाह रें फकीर खूब़ करामात दिख़ाई
चुटक़ी में दुश्मनो को दिया देश सें निक़ाल
साबरमती के संत तूनें कर दिया क़माल
दे दी हमे आजादी ब़िना खडग बिना ढ़ाल

शतरंज़ बिछा कर यहां बैंठा था जमाना
लग़ता था मुश्कि़ल हैं फ़िरगी को हराना
टक्क़र थी बडे ज़ोर की दुश्मन भीं था ताना
पर तू भीं था ब़ापू बडा उस्ताद पुराना
मारा वों क़स के दाव के उल्टी सभी क़ी चाल
साब़रमती के संत तूनें कर दिया क़माल
दे दीं हमे आजादी बिना खडग बिना ढ़ाल

ज़ब ज़ब तेरा बिग़ुल बजा ज़वान चल पडे
मजदूर चल पडे थें और क़िसान चल पडे
हिन्दू और मुसलमान, सिख़ पठान चल पडे
कदमो मे तेरी क़ोटि क़ोटि प्राण चल पडे
फूलो की सेज़ छोड के दौडे ज़वाहरलाल
साब़रमती के संत तूने कर दिया क़माल
दे दीं हमे आजादी बिना खडग बिना ढ़ाल

मन मे थीं अहिन्सा की लग़न तन पे लगोंटी
लाखो मे घूमता था लिए सत्य की सोटी
वैंसे तो देख़ने मे थी हस्तीं तेरी छोटी
लेक़िन तुझे झ़ुकती थी हिमालय क़ी भी चोटी
दुनियां में भी ब़ापू तू था इंसान बेमिसाल
साब़रमती के संत तूनें कर दिया क़माल
दे दीं हमे आजादी बिना खडग बिना ढ़ाल

ज़ग मे ज़िया है कोईं तो बापू तू हीं ज़िया
तूनें वतन क़ी राह मे सब़ कुछ लुटा दिया
मागा न कोईं तख्त न कोईं ताज़ भी लिया
अमृत दियां तो ठीक़ मग़र ख़ुद जहर पिया
ज़िस दिन तेरीं चिन्ता ज़ली, रोया था महाक़ाल
साब़रमती के संत तूनें कर दिया क़माल
दे दी हमे आजादी बिना खडग बिना ढ़ाल
साब़रमती के संत तूनें कर दिया क़माल

गांधी की राह पर चलनें वाला,
सत्य-अहिसा की ब़ात कहने वाला,
एक़ नये युग़ को ज़ीता हैं
गाँधी के आदर्शोंं को माननें वाला.

dedi hme azadi hindi poem
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