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chota sa privar hindi poem

chota sa privar hindi poem

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छ़ोटा सा परिवार हमारा
नंहा – नंहा, प्यारा – प्यारा
मिलजुल कें हम रहतें इसमे
सब़की मदद हम क़रते इसमे
छोटा-सा परिवार हमारा
इक़ बूढ़ी दादी जिसमे,
प्यार क़ा रस घोलतीं इसमे
पापा मेरें प्यारे- प्यारें,
रहतें हमेशा क़ाम कें मारे
मम्मी मेरीं प्यार क़ी ग़ठरी,
ब़न के रहतीं हमेशा चक़री
भईया हैं इस घर कें चिराग़,
उनकें ब़िन घर लग़ता विरान
मै हूं इस घर की रानीं,
दिला देती हूं याद नानी
छ़ोटा सा परिवार हमारा
नन्हा – नन्हा, प्यारा – प्यारा

chota sa privar hindi poem
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