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chidiya rani poem in hindi

chidiya rani poem in hindi

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प्रात: होते ही चिड़िया रानी, बगिया में आ जाती,

चूं चूं करके शोर मचाकर बिस्तर में मुझे जगाती |

तिलगोजे जैसी चोंच है उसकी,

मोती जैसी आंखें |

छोटे छोटे पंजे उसके

रेशम जैसी आंखें |

मीठे मीठे गीत सुनाकर,

तू सबका मन बहलाती |

छोटे छोटे दाने चुग कर

बड़े चाव से खाती |

चारो तरफ फुदक फुदक कर,

तू अपना नाच दिखाती |

नन्हे नन्हे तिनके चुनकर,

तू अपना घोंसला बनाती |

रात होते ही झट से

तू घोंसले में घुस जाती |

पेड़ो की शाखाओ में तू,

अपना बास बनाती |

chidiya rani poem in hindi
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meh kya brsa poem in hindi

meh kya brsa poem in hindi

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मेह क्या बरसा
घरों को लौट आए
नेह वाले दिन

हाट से लौटे कमेरे
मुश्किलों से मन बचा कर
लौट आए छंद में कवि
शब्द की भेड़ें चरा कर

मेह क्या बरसा
भले लगने लगे हैं
स्याह काले दिन

कोप घर से लौट
धरती ने हरी मेहँदी रचाई
वीतरागी पंछियों ने
गीतरागी धुन बनाई

मेह क्या बरसा
लगे मुरली बजाने
गोप ग्वाले दिन

कुरकुरे रिश्ते बने
कड़वे कसैले पान थूके
उमंगें छत पर चढ़ीं
मैदान में निकले बिजूके

मेह क्या बरसा
सभी ने हाथ में लेकर
उछाले दिन

meh kya brsa poem in hindi
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