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bhot smjhaya is dil ko hindi poem

bhot smjhaya is dil ko hindi poem

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बहुत समझाया है मैने इस दिल को
पर अब ये मेरी सुनता नहीं
हर धड़कन में अब तुम हो बसे
कि ये सपना कोई बुनता नहीं
तुम अब मेरे नही हो सकते ये दिल भी जानता है
पर इस दिल का क्या कसूर ये तो तुझे ही खुदा मानता है
तुम कहते हो जीवन में आगे बढ़ो सब ठीक होगा
लेकिन तुम्हें भी पता है कि तुम्हारी तरह कोई मुझे समझ सकता नहीं
बहुत समझाया है मैने इस दिल को
पर अब ये मेरी सुनता नहीं
भले ही ऊपरवाले ने हमारी जोड़ी ना बनाई हो
लेकिन इस जीवन में कुछ पल ही सही तेरे होने का एहसास हुआ , इससे बड़ी क्या खुदाई हो
बस दुआ है यही रब से…….
जब जिंदगी दे तो तेरे साथ नही तो जिंदगी ना दें
बहुत समझाया है मैने इस दिल को
पर अब ये मेरी सुनता नही
ऐ मेरे हमदम मुझपर एक और एहसान कर
आखिरी ख्वाहिश है दिल की यही समझकर
मेरा दिल तो रौशन है बस तेरे ही होने से
इसलिए इस दिल में तुम कभी अंधेरा करना नही
बहुत समझाया है मैने इस दिल को
पर अब ये मेरी सुनता नहीं

bhot smjhaya is dil ko hindi poem
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