बेटी ये कोख से बोल रही,
माँ करदे तू मुझपे उपकार.
मत मार मुझे जीवन दे दे,
मुझको भी देखने दे संसार.
बिना मेरे माँ तुम भैया को
राखी किससे बंधवाओंगी.
मरती रही कोख की हर बेटी
तो बहु कहाँ से लाओगे
बेटी ही बहन, बेटी ही दुल्हन
बेटी से ही होता परिवार
मानेगे पापा भी अब माँ
तुम बात बता के देखो तो
दादी नारी तुम भी नारी
सबको समझा के देखो तो
बिन नारी प्रीत अधूरी है
नारी बिन सुना है घर-बार
नही जानती मै इस दुनिया को
मैंने जाना माँ बस तुमको
मुझे पता तुझे है फ़िक्र मेरी
तू मार नही सकती मुझको
फिर क्यों इतनी मजबूर है तू
माँ क्यों है तू इतनी लाचार
गर में ना हुई तो माँ फिर तू
किसे दिल की बात बताएगी
मतलब की इस दुनिया में माँ
तू घुट घुट के रह जाएगी
बेटी ही समझे माँ का दुःख
‘अंकुश’ करलो बेटी से प्यार
beti ye kokh se bol rhi hindi poem