बेरोजगारी आम रोजगार हो गई।
शिक्षा रट्टा मार हो गई।
कृषक, श्रमिक की किस्मत सोई।
खुदकूशी नया समाचार हो गई।
थानेदार की लूटमार का
बचा नहीं अब कोई सानी।
जनता तरसे पानी-पानी।।
सत्ताधारी सम्राट हुए हैं।
पत्रकारिता नौकरानी हो गई।
संसद मे सांसद सोते हैं ।
राजनीति भी धंधा-पानी हो गई।
ईमानदारी ईद का चाँद हुई।
भ्रष्टाचार अब नई कहानी।
जनता तरसे पानी-पानी।।
मानवता अत्याचार हो गई।
दुष्टता शिष्टाचार हो गई।
अत्याचार कहानी हो गई।
जातक कथा पुरानी हो गई।
जनता भी नहीं बहुत सयानी।
हिन्दुस्तान हो रहा पानी-पानी।।
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