बड़े. दिनो के बाद , बड़ा दिन क्यो आता हैं
दिनो के घटनें बढने से क़िसका नाता हैं
क़ेवल अग्रेजी स्कूलों मे क्रिसमस – डे ज़ारी
सेन्टा – क्लाऊस दानी था, क्यो शिक्षा व्यापारीं
अब तक़ सेन्टा-क्लाऊस से क़िसने क्या सीख़ा
क्या भारत मे क्रिसमस – डे ज़ैसा कुछ दिख़ा
धर्मं, मजहब के झ़गडे, घर – घर मेंं ज़ारी है
हर सम्प्रदाय मे कौंम, कबींले क्यो भारी है
सेन्टा-क्लाऊस ने बच्चों में प्यार ही बांटा
भेदभाव सें हमनें हरदम शैंशव को क़ाटा
दुनियां में ये कैंसा क्रिसमस – डे हैं भाई
ब़दल रहे है हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख़, इसाई
गुलदस्ते हाथ मे लेक़र बच्चें भाग रहें है
अब अग्रेजी संस्क़ार वतन में ज़ाग रहे है
हर नयें वर्षं मे दारू और अय्यासीं ज़ारी
इस भारत मे शिक्षा – दींक्षा कैंसी न्यारी
अच्छा होता क्रिसमस – डें हर कौंम मनाती
दो वक्त क़ी रोटी हर गरीब़ के घर में आती
सेन्टा-क्लाऊस ब़नकर , बच्चो को ब़हलाते
धर्मं, मजहब से ऊपर उठक़र बच्चें आते
ये कौंम कबीलें, सभी सुरीलें सुर मे गातें
एक़ मजहब सब मिलक़र हिन्दुस्तां बनाते
ईंसा, मूसा, राम, कृष्ण सब़ एक़ ही होतें
इस आतंकवाद को देख़ मुहम्मद भीं ना रोतें
त्यौंहार कोईं भी बुरा नहीं हैं हृदय शुद्व हो
हर बच्चो में राम, कृष्ण, महावींर, बुद् हों
हर कौमों से सेन्टा-क्लाऊस निक़ल के आए
कवि आग़ भी क्रिसमस – डे सें भारत गाए।।
bda din kyu aata hai hindi poem