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 tumhe pta h kom ho tum hindi poem

tumhe pta h kom ho tum hindi poem

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तुम्हें पता है कौन हो तुम
मेरे जिंदगी की अनछुई परछाई हो तुम
समझता मैं भी अजनबी था तुझे,
मिला मुझे खुद का पता जब न था,
मिली जब पनाह तेरे प्यार की,
छोड़ हक़ीक़त सपनों में खो गया,
मिला तेरा साथ तो अपनों का हो गया,
बिताये हर एक पल ग़मों से दूर रहा मैं,
रहता जिस गुरुर में था मैं,
उससे दूर रहा मैं,
मुझे नहीं पता क्या सीखा तुमने मुझसे,
मगर इस दिल ने सीखा बहुत तुझसे,
सपनों की हक़ीक़त,
हक़ीक़त का टूटना,
ज़िन्दगी की सच्चाई,
और दिल का रूठना,
अब इससे ज़्यादा क्या बताये ये दिल
प्यार और इबादत की तालीम हो तुम
आज जाना मेरी अधूरी जिंदगी में मीठा सवाब हो तुम,
इस दिल की नहीं तुम,
ऊपर वाले की प्यारी रचना हो तुम,
ये तारीफ नहीं जुबां की,
बस वाक्या है मेरे दिल का,
रहे मेरे पास शायद वजह यही है मेरे सिर झुकाने की,
रहे तू हमेशा मेरी ज़रूरत नहीं मुझे ये बताने की,
यूं निगाहों से नहीं चाहा कभी तुझे,
ये दिल तुझपे निसार था,
ज़िन्दगी पर किसी का हक ये गवारा मुझे न था,
पर पाबंदिया उसूलों से अच्छी होंगी,
ये वक़्त से ज़्यादा तूने बताया था,
रहे उस सोने की तरह जो ढल जाता सांचे में,
रहूँ मैं उस साँचे जैसा ढले जिसकी आस में,
क्योंकि माँ तो नहीं मगर ज़िन्दगी की अंतिम सांस है तू,
आज हक़ीक़त को जाना,
ज़िन्दगी के हर किनारे का साथ है तू,
ये शब्द नहीं जज़्बात हैं मेरे,
वरना दिल-ए फ़क़ीर क्या जाने,
मेरी मुस्कान का राज़ है तू।

tumhe pta h kom ho tum hindi poem
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bandhan tod ke dekho hindi poem

bandhan tod ke dekho hindi poem

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ये बंधन तोड़ कर देखो कितनी राहें बुलाती हैं,
अगर धक्का नहीं दोगे झूलें भी ना झुलाती हैं।

 

अगर बच्चा नहीं रोए तो ममता दिख नही पाती,
तभी तो लोरियां गा गा के मां उनको सुलाती हैं।

 

हार कर ज़िन्दगी में जो कभी टूटा नहीं करते,
वक्त आने पे उनके सीनों को मंज़िल फुलाती हैं।

 

दर्द दीवार दिल की तोड़ जब नैनॊं से रिसता है,
बोझ दिल का घटाने को ही ये आँखें रूलाती हैं।

 

जो भी ठहरा नहीं करते सदा कुछ करते रहते हैं,
उन्हीं को याद रख मधुकर ये पुश्तें ना भुलाती हैं।

bandhan tod ke dekho hindi poem
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