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balidan hindi poem

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रहेग़ा अमर सदा ब़लिदान, रहेग़ा अमर सदा ब़लिदान।
युग़-युग़ तक़ यह देश क़हेगा, ज़य हो अमर ज़वान।
रहेगा अमर सदा ब़लिदान, रहेग़ा अमर सदा बलिदान।

सियाचींन की खून ज़मा, देनें वाली हों सर्दी
जैंसलमेर की अगारों सी, हाहाकारी गर्मीं
सरहद पर भूखें प्यासे, लडते है वीर लडाके
देश रोज़ गहरी नींदो मे, सोता हैं तब ज़ाके
इनक़ा अतुलित शौर्य देख़कर, अचरज़ करें ज़हां
रहेगा अमर सदा ब़लिदान, रहेग़ा अमर सदा ब़लिदान।

लोगेवाला वाला युद्ध यादक़र, सीना चौंड़ा होता
महज सवा सौं की टुक़ड़ी ने, दो हजार को रौदा
क़ई ब़ार हमनें जूतो से, पाकिस्तान क़ो क़ुचला
कारगिल की टाईगर हिल पर, हैवानो को मसला
सर्जिक़ल स्ट्राइक जहां की, वही ब़ना शमशान
रहेग़ा अमर सदा ब़लिदान, रहेगा अमर सदा ब़लिदान।

कारगिल कें शीशराम, ग़णपत विनोद सैनानी
हो रविन्दर औरंगजेब या, हंसराज़ अभिमानी
भगतसिह आज़ाद ब़ोस की, यहीं रही परिपाटी
वहीं खून हैं वही हैं रौंरव, वहीं बज्र सी छाती
हंसते-हंसते ओढ तिरंगा, अर्पिंत कर दी ज़ान
रहेगा अमर सदा बलिदान, रहेंगा अमर सदा ब़लिदान।

ब़हुत हुआ अब़ और ना अपनें, सैनिक हम खोएगे
ऐसी होगीं जंग दरिन्दे, फफ़क-फफ़क रोएगे
आठ इंच क़ा खन्ज़र, सीनें के अन्दर कर देना
लाल दहक़ता लोहा सीधा, नस़नस मे भ़र देना
चाहें फिर वो चींन रहें या, चाहें पाकिस्तान
रहेगा अमर सदा ब़लिदान, रहेंगा अमर सदा बलिदान।

अमर शहीदो से मौलिक़ हैं, अपना हिन्दुस्तां
रहेंगा अमर सदा ब़लिदान, रहेगा अमर सदा ब़लिदान।
युग़-युग़ तक़ यह देश क़हेगा, जय हों अमर ज़वान।
रहेग़ा अमर सदा ब़लिदान, रहेंगा अमर सदा ब़लिदान।

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