• +91 99920-48455
  • a2zsolutionco@gmail.com
badal sb snyasi hindi poem

badal sb snyasi hindi poem

  • By Admin
  • 3
  • Comments (04)

सावन भादौं साधु हो गए, बादल सब संन्यासी
पछुआ चूस गई पुरवा को, धरती रह गई प्यासी
फसलों ने वैराग ले लिया, जोगी हो गई धानी
राम जाने कब बरसेगा पानी
ताल तलैया माटी चाटै, नदियाँ रेत चबाएँ
कुएँ में मकड़ी जाला ताने, नहरें चील उड़ाएँ
उबटन से गगरी रूठी है, पनघट से बहुरानी
राम जाने कब बरसेगा पानी
छप्पर पर दुपहरिया बैठी, धूप टँगी अँगनाई
द्वार का बरगद ठूँठ हो गया, उजड़ गई अमराई
चौपालों से खलिहानों, तक सूरज की मनमानी
राम जाने कब बरसेगा पानी
पिघल गया चेहरों का सोना, उतर गई महताबी
गोरी बाँहें हुईं साँवरी, बुझ गए नयन गुलाबी
सपने झुलस गए राधा के, श्याम हुए सैलानी
राम जाने कब बरसेगा पानी
बाज़ारों में मँहगाई की बिखर गई तस्वीरें
हमदर्दों के पाँव पड़ गई वादों की जंजीरें
सँसद की कुरसी में धँस गई खेती और किसानी
राम जाने कब बरसेगा पानी

badal sb snyasi hindi poem
  • Share This:

Related Posts