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badal kaise graj rhe hain hindi poem

badal kaise graj rhe hain hindi poem

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काले काले बादल आये, घनघोर घटा ये कैसी छाये।
बिजली कैसी चमक रही, बादल कैसे गरज रहे हैं।
बादल गरजा गर गर, मेंढक बोला टर टर।
पानी बरसा छम छम, छाता लेके निकले हम।
पांव फिसला गिर गए हम, नीचे छाता ऊपर हम।
काले काले बादल आये, घनघोर घटा ये कैसी छाये।
बिजली कैसी चमक रही, बादल कैसे गरज रहे हैं।
गर गर बादल आया, छम छम जल बरसाया।
खलिहान, सड़के, गलियां बागों में खिली हुई हैं कलियाँ।
बागों में मोर शोर मचाये, हम सबके मन को कितना भाये।
काले काले बादल आये, घनघोर घटा ये कैसी छाये।
बिजली कैसी चमक रही है, बादल कैसे गरज रहे हैं।

badal kaise graj rhe hain hindi poem
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