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asptal ho ya smsan hindi poem

asptal ho ya smsan hindi poem

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अस्पताल हो या शमशान हर जगह लगती है कमीशन.
बैंको से चाहिए लोन या लगाना हो टेलीफोन,
बच सका है इससे कौन?
खेलों में फिक्सिंग या रेलों में टिकटिंग,
हर जगह है सेटिंग।

एग्जामिनेशन हो या इलेक्शन,
हर तरफ है करप्शन।

डाला है इसने मजबूरी का फंदा,
जिससे परेशान है हर बन्दा,
जिसने जीवन में ज़हर घोल डाला,
इंसान की फिरत ही बदल डाला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल-बाला।

जिसने समाज का बेड़ा गर्क कर डाला
हमीने उसे पला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल–बाला।

asptal ho ya smsan hindi poem
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