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arun yh mdhumy desh hmara hindi poem

arun yh mdhumy desh hmara hindi poem

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अरुण यह मधुमय देश हमारा।

जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को

मिलता एक सहारा।

सरस तामरस गर्भ विभा पर

नाच रही तरुशिखा मनोहर।

छिटका जीवन हरियाली पर

मंगल कुंकुम सारा।।

लघु सुरधनु से पंख पसारे

शीतल मलय समीर सहारे।

उड़ते खग जिस ओर मुँह किए

समझ नीड़ निज प्यारा।।

बरसाती आँखों के बादल

बनते जहाँ भरे करुणा जल।

लहरें टकरातीं अनंत की

पाकर जहाँ किनारा।।

हेम कुंभ ले उषा सवेरे

भरती ढुलकाती सुख मेरे।

मदिर ऊँघते रहते जब

जग कर रजनी भर तारा।।

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