मुल्क़ की उम्मींद-ओं -अरमान मेरें राम,
इन्सान की मुक़म्मिल पहचान मेरें राम ।
शिवाला क़ी आरती क़े प्राण मेरें राम,
रमज़ान की अजान के भगवान मेरें राम ।
काशी काब़ा और चारों धाम मेरें राम,
जमीं पे अल्लाह क़ा इक नाम मेरें राम ।
दर्दं ख़ुद लिया दिया मुस्कान मेरें राम,
जहां में मुहब्बतें -फरमान् मेरें राम।
रहमत के फरिश्तें रहमान मेरें राम,
‘सौं बार जाऊं तुझ़ पर कुर्बान मेरें राम।
हर कर्म पे रख़े ईमान मेरें राम,
तारीख मे हैं आफ़ताब नाम मेरें राम।
वतन मे मुश्किलो का तूफान मेरें राम,
फ़िर से पुक़ारता है हिन्दुस्तां मेरें राम।
arman mere ram hindi poem