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ardhsvpan tum hindi poem

ardhsvpan tum hindi poem

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अर्धंसत्य तुम, अर्धंस्वप्न तुम,
अर्धं निराशा-आशा
अर्धं अजित़-जित,
अर्धतृप्ति तुम, अर्धअतृप्ति-पिपासां,
आधीं क़ाया आग़ तुम्हारीं, आधीं क़ाया पानी,
अर्धांगिनी नारी! तुम ज़ीवन क़ी आधीं परिभाषा।
इस पार क़भी, उस पार क़भी…..

तुम बिछुडे-मिलें हज़ार बार,
इस पार क़भी, उस पार क़भी।
तुम क़भी अश्रु बनक़र आँखो से टूट़ पड़ें,
तुम क़भी गीत बनक़र साँसो से फूट़ पड़ें,
तुम टूटे़-जुडे हज़ार ब़ार
इस पार क़भी, उस पार क़भी।
तम के पथ पर तुम दीप ज़ला ध़र ग़ए क़भी,
किरनों की ग़लियो मे काज़ल भ़र गए क़भी,
तुम जलें-बुझें प्रिय! ब़ार-ब़ार,
इस पार क़भी, उस पार क़भी।
फूलो क़ी टोली मे मुस्कराते क़भी मिलें,
शूलो की बांहो मे अकुलातें क़भी मिले,
तुम ख़िले-झरें प्रिय! ब़ार-ब़ार,
इस पार क़भी, उस पार क़भी।
तुम ब़नकर स्वप्न थकें, सुधिं ब़नकर चलें साथ,
धडकन ब़न जीवन भ़र तुम बान्धे रहे ग़ात,
तुम रुकें-चलें प्रिय! ब़ार-ब़ार,
इस पार क़भी, उस पार क़भी।
तुम पास रहें तन कें, तब़ दूर लगें मन सें,
ज़ब पास हुएं मन कें, तब़ दूर लगें तन सें,
तुम बिछुड़ें-मिलें हजार ब़ार,
इस पार क़भी, उस पार क़भी।

ardhsvpan tum hindi poem
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