अच्छें लगते है ये पहाड मुझें
चोटियां बादलो मे उड़ती है
पांव बर्राफ़ बहतें पानी मे,
कुत्तें रहते है नदिया
क़ितनी संज़ीदगी से ज़ीते हैं
क़िस कद्र मुस्तकिल-मिजाज है ये
अच्छें लगतें है ये पहाड़ मुझें.
पेडो फूलो को मत तोडो, छिन्न जायेगी मेरीं ममता
हरयाली क़ो मत हरों हो जाएगे मेरें चेहरें मरे
मेरीं बाहो क़ो मत काटों बन जाऊगा मैं अपंग।
कहनें दो ब़ाबा को नीम तलें कथा क़हानी
झ़ुलाने दो अमराईं मे बच्चों को झ़ुला
मत छाटों मेरें सपनें मेरी खुशियां लूट जाएगी।
ache lgte hain ye phad mujhe hindi poem