आज़ादी के साल हुए कई,
पर क्या हमने पाया है.
सोचा था क्या होगा लेकिन,
सामने पर क्या औया है.
रामराज्य-सा देश हो अपना
बापू का था सपना,
चाचा बोले आगे बढ़ कर
कर लो सब को अपना.
आज़ादी फिर छीने न अपनी
दिया शास्त्री ने नारा,
जय-जयकार किसान की अपनी
जय जवान हमारा.
सोचो इनके सपनों को हम
कैसे साकार करेंगे,
भ्रष्टाचार हटा देंगे हम
आगे तभी बढ़ेंगे.
मुश्किल नहीं पूरा करना
इन सपनों का भारत,
अपने अन्दर की शक्ति को
करो अगर तुम जाग्रत.
आओ मिलकर कसम ये खायें,
ऐसा सभी करेंगे,
शिक्षित हो अगर हर बच्चा,
उन्नति तभी हम करेंगे.
aazadi ke saal huye kai hindi poem