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aasan nhi mohbat hindi shayari

aasan nhi mohbat hindi shayari

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आहिस्ता आहिस्ता करके,
पिघलना पड़ता है।
आसान नहीं मुहब्बत,
बहुत जलना पड़ता है।
बुझती भी नहीं आग दिल की,
जलकर राख भी नहीं होता है।
एक बार हो जाए मुहब्बत तो,
जिंदगी भर गिर गिर कर,
संभलना पड़ता है।
सदियों से रहा है दुश्मन,
जमाना मुहबत का|
घर वालों की नजर से भी,
आंसू बनकर निकलना पड़ता है।
खुब सोचना समझना मनोज,
किसी का होने से पहले।
क्योंकि हो जाए इश्क़ तो,
ताउम्र हाथ मलना पड़ता है।
इतिहास गवाह है मुहब्बत में,
मंजिल नहीं मिलती।
सूरज की तरह रोज,
निकलकर ढलना पड़ता है।

aasan nhi mohbat hindi shayari
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