आयी रे आयी वर्षा ऋतु आयी ।
अपने साथ काले काले मेघा लायी ।।
जोर जोर से गरज उठे काले मेघा ।
फिर कही बारिश की बौछारे आयी ।।
जोर जोर से उमड़ घुमड़ कर बरसे बदरा ।
सूखे खेतो में फसले लहराई ।।
धरती पुत्र किसानो की आँखे चमक उठी ।
घर घर में खुशियाँ आयी ।।
हाहाकार मचा रही गर्मी को धुल चटाई ।
आयी रे आयी वर्षा ऋतु आयी ।।
नवजीवन की नई जोत जलाई ।
पर्वत भी झूम उठा झरने भी झूम उठे ।।
खुले मैदानो फिर नदियाँ कल-कल कर बहने लगी ।
धरती माँ ने भी हरियाली की चुनरी ओढ ली ।।
आयी रे आयी वर्षा ऋतु आयी ।।
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