टीचर जी! मत पकड़ो कान। सरदी से हो रहा जुकाम II लिखने की नही मर्जी है। सेवा में यह अर्जी है ठण्डक से ठिठुरे हैं हाथ। नहीं दे रहे कुछ भी साथ II आसमान में छाए बादल। भरा हुआ उनमें शीतल जल II दया करो हो आप महान। हमको दो छुट्टी का दान II जल्दी है घर जाने की। गर्म पकोड़ी खाने की II जब सूरज उग जाएगा। समय सुहाना आयेगा II तब हम आयेंगे स्कूल। नहीं करेंगे कुछ भी भूल II
Teacher ji mat pkdo kan hindi poem