कदम मिलाकर चलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
बाधाएं हैं, आती है तो आए
घने प्रलय की घोर घटाएं
पावों के नीचे अंगारे
सिर पर बरसे यदि ज्वालाएं
निज हाथों से हंसते-हंसते
आग लगा कर चलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा।।
हास्य रुदन में, तूफानों में
अमर संख्यक बलिदानों में
उद्यानों में, वीरानों में
अपमानों में, सम्मानों में
उन्नत मस्तक, उभरा सीना
पीड़ोंओं में पलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा।।
–पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी की कविता - कदम मिलाकर चलना होगा