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2 october hindi poem

2 october hindi poem

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दो अक्टूबर प्यारा दिन बापू जन्मे थे इस दिन,
अट्ठारह सौ उनहत्तर वर्ष प्यारा सबसे न्यारा दिन,
सत्य मार्ग पर चलते थे नहीं किसी से डरते थे,
हक़ की खातिर दृढ़ होकर अनशन भी वो करते थे,
रूई से सूत बनाते थे चरखा नित्य चलाते थे,
अपनाओ उत्पाद स्वदेशी सबको यही सिखलाते थे,
शांति अहिंसा को अपनाया सत्य प्रेम जग में फैलाया,
हिंसा से जो दूर रहे कायर नहीं ये समझाया।

वैष्णव जन तो तेने कहिये गाकर पीड़ा भोगी,
ईश्वर अल्लाह तेरा नाम भजकर हुआ वियोगी,
कुछ कहते है भारत की आत्मा कुछ कहते है संत,
बापू से बन गया महात्मा साबरमती का संत,
सत्य अहिंसा की मूरत वह चरखा खादी वाला,
आजादी के रंग में जिसने जग को ही रंग डाला।

2 october hindi poem
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