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सर्दी में छुहारा खाने के हैं ये 5 फायदे, कैंसर को जोखिम भी करता है कम

सर्दी में छुहारा खाने के हैं ये 5 फायदे, कैंसर को जोखिम भी करता है कम

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सर्दी में छुहारा खाने के हैं ये 5 फायदे, कैंसर को जोखिम भी करता है कम

सर्दी में छुहारा खाने के बहुत से फायदे हैं जिनमें से एक हैं यह कैंसर के जोखिम से भी बचाता है. नियमित रूप से छुहारे का सेवन करने से इंफेक्शन और पेट से जुड़ी बीमारियों को दूर किया जा सकता है.

छुहारा प्रोस्टेट कैंसर, पैनक्रियाज कैंसर और स्टोमेक कैंसर के जोखिमों से बचा सकता है.
छुहारा बड़ी आंत में पॉलिप कैंसर के विकसित होने से रोकता है.

ड्राई फ्रूट की जब भी बात होती है तब बादाम, अखरोट, काजू आदि की तो बात होती है लेकिन छुहारे की बहुत कम ही चर्चा होती है. पर छुहारे भी बेशकीमती ड्राई फ्रूट है. छुहारा ऐसा ड्राई फ्रूट है जो कैंसर के जोखिम को भी कम कर सकता है.यहां तक अगर किसी व्यक्ति में कैंसर है तो कैंसर से होने वाली परेशानियों को भी कर सकता है. छुहारे में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं जिनमें फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, पोटैशियम, विटामिन सी, कॉपर, जिंक, फास्फोरस, आयरन प्रमुख है. नियमित रूप से छुहारे का सेवन करने से इंफेक्शन और पेट से जुड़ी बीमारियों को दूर किया जा सकता है. छुहारे में पोलीफिनॉल कंपाउंड पाया जाता है जो डाइजेशन से लेकर डायबिटीज तक से बचाता है. छुहारे से एनर्जी भी बहुत प्राप्त किया जा सकता है. सिर्फ दो छुहारे में 110 कैलोरी ऊर्जा मिल सकती है.

खबर के मुताबिक रिसर्च में पाया गया कि छुहारा कुछ कैंसर से बचा सकता है. जिसे कैंसर हो चुका है, उसके लिए भी छुहारा फायदेमंद है. छुहारा कैंसर की गंभीरता को कम करता है. रिसर्च के मुताबिक 3 से 5 छुहारों का रोज सेवन कैंसर के जोखिमों से बचा सकता है. अध्ययन में कहा गया है कि छुहारे के सेवन से कोलोन में पनपने वाले पॉलिप नहीं होगा. वहां बड़ी आंत में पॉलिप कैंसर में विकसित नहीं होगा. यह प्रोस्टेट कैंसर, पैनक्रियाज कैंसर और स्टोमेक कैंसर के जोखिमों से बचा सकता है. अध्ययन के मुताबिक छुहारे में एंटी-ट्यूमर गुण पाया जाता है.

छुहारे के अन्य फायदे

छुहारे के अन्य भी कई फायदे हैं. छुहारा डाइजेस्टिव सिस्टम को मजबूत करता है. छुहारा एंटी-इंफ्लामेटरी भी होता है. इसलिए यह शरीर में सूजन की समस्याओं को कम करता है. छुहारा लिवर में होने वाली सूजन और अर्थराइटिस की वजह से जोड़ों में होने वाली सूजन को कम करता है. यानी छुहारे का सेवन सूजन संबंधी सभी समस्याओं को खत्म कर सकता है. छुहारा एंटीमाइक्रोबियल गुण से भरपूर होता है. यह बैक्टीरिया जनित संक्रमण से बचाता है. छुहारा वायरल, फ्लू, सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं से बचाव करने में प्रभावी है.

सर्दी में अक्सर लोगों का मन रजाई से निकलने का नहीं करता है. रजाई के अंदर लोग जरूरत से ज्यादा देर तक सो भी लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सर्दियों के मौसम में लोग ज्यादा देर तक क्यों सोते हैं.

रोशनी कम होने से मेलाटोनिन का प्रभाव बना रहता है जिसके कारण हम ज्यादा देर तक सोते रहते हैं.
अगर नियमित रूप से एक्सरसाइज करेंगे तो रात को अच्छी नींद आएगी जिससे सुबह नींद खुलनें में दिक्कत नहीं होगी

सर्दी के मौसम आते ही लोगों में आलस्य बढ़ जाता है. लोग जल्दी बिस्तर पकड़ लेते हैं और सुबह में देर तक रजाई के नीचे दुबके होते हैं. उत्तर भारत में इस समय कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. इसलिए लोग बहुत देर तक रजाई के अंदर सोए रहते हैं. अधिकांश लोग जरूरत से ज्यादा नींद लेते हैं. आमतौर पर सर्दी में लोग सामान्य से ज्यादा देर तक नींद लेते हैं. ऐसे में यह आश्चर्य स्वभाविक है कि आखिर क्यों सर्दी में लोग ज्यादा देर तक सोए रहते हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक इसके लिए यह मौसम निश्चित रूप से जिम्मेदार है और इसके लिए सोने की आदत में बदलाव आती है.

खबर के मुताबिक यशोदा अस्पताल हैदराबाद में इंटरवेंशनल पल्मोनॉलोजी एंड स्लीप मेडिसीन के कंसल्टेंट डॉ विश्वेस्वरम बालासुब्रमण्यम बताते हैं कि इंसान में सोने की आदत सर्काडियन प्रक्रिया से प्रभावित होती है. सर्काडियन प्रक्रिया हमारे शरीर में अंदरुनी टाइम टेबल है. प्रत्येक कोशिकाएं इसी के अनुरूप अपना काम करती है. हमारी जो जैविक घड़ी है वह कई चीजों से प्रभावित होती है. इसमें पर्य़ावरण, तापमान, सूरज की रोशनी जैसे कई चीजों से लयबद्धता होती है. इस पर पूरी सर्काडियन प्रतिक्रियाएं निर्भर करती है. यानी जब मौसम बदलता है तब इसका प्रभाव सर्काडियन प्रक्रिया पर भी पड़ता है और हमारी जैविक घड़ी में भी हल्का बदलाव होने लगता है. यही कारण है बहुत अधिक सर्दी में सोने का समय भी प्रभावित हो जाता है और लोग ज्यादा सोते हैं.

हार्मोन का प्रभाव
वहीं अमृता अस्पताल फरीदाबाद में साइकेट्री डिपार्टमेंट के हेड डॉ विकास गौड़ भी इस बात पर सहमति जताते हुए कहते हैं कि प्रकाश हमारे दिमाग के उस खास हिस्से को उकसाता है जहां मेलाटोनिन हार्मोन रिलीज होता है. यह शरीर में कुदरती रूप से बनता है जिसके कारण नींद आती है. रोशनी कम होने पर शरीर को संकेत जाता है कि अब सोने का टाइम आ गया. सुबह में मेलाटोनिन बहुत कम हो जाता है जिसके कारण शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है. लेकिन रोशनी कम होने से मेलाटोनिन का प्रभाव बना रहता है जिसके कारण हम ज्यादा देर तक सोते रहते हैं.

मांसपेशियों में अकड़न की वजह से ही ज्यादा दिक्कत होती है. मांसपेशी स्केलिटल, कार्डिएक और स्मूद तीन प्रकार की होती है और जकड़न या अकड़न स्केलिटल मांसपेशी को प्रभावित करती है. स्केलिटल मांसपेशी ही मनुष्य को दैनिक जीवन में कामकाज करने के लिए सक्षम बनाती है.

सर्दियों का मौसम इस समय अपने पीक पर है. सर्दियों में के दिनों में कई तरह की शारीरिक परेशानियां भी होती हैं. इन्हीं समस्याओं में से एक है मांसपेशियों में दर्द का बढ़ जाना. मांसपेशियों में दर्द की वैसे तो कई वजहें हो सकती है जैसे- चोट लगना, भारी बोछ उठाना या फिर कई बार तनाव की वजह से भी दर्द हो जाता है. ठंड के दिनों में किसी कोई भी बाहर निकलने का मन नहीं करता और ऐसे मे शारीरिक गतिविधि काफी कम हो जाती है. इसका सबसे ज्यादा असर हमारी मासंपेशियों पर पड़ता है. यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब कई दिनों तक जिम छोड़ने के बाद दोबारा वर्कआउट शुरू करना पड़े. मांसपेशियों में दर्द की इस शिकायत को DOMS के रूप में जाना जाता है और इसे मांसपेशियों का बुखार भी कहा जाता है.

DOMS से पीड़ित व्यक्ति को चलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और मांसपेशियों में ताकत की कमी भी होने लगती है. खबर के अनुसार हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो डोम्स की शिकायत उन लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है जिन्हें लंबे समय से व्यायाम न किया हो इससे मांसपेशियों में अकड़न आ जाती है. कभी कभी इसमें असहनीय दर्द भी होता है.

क्या होती है मांसपेशियों में अकड़न
मांसपेशियों में अकड़न की वजह से ही ज्यादा दिक्कत होती है. मांसपेशी स्केलिटल, कार्डिएक और स्मूद तीन प्रकार की होती है और जकड़न या अकड़न स्केलिटल मांसपेशी को प्रभावित करती है. स्केलिटल मांसपेशी ही मनुष्य को दैनिक जीवन में कामकाज करने के लिए सक्षम बनाती है. जब एक तय सीमा से अधिक स्केलिटल मांसपेशियों का उपयोग किया जाता है तो इससे जकड़न आने लगती है जो गति को प्रभावित करती है. मसल्स में जकड़न उन लोगों को ज्यादा होती है जो एक्सरसाइज के आदी नहीं होते.

मांसपेशियों के दर्द के लक्षण

– शरीर में अचानक बहुत तेज और कम दर्द महसूस होना.
– मांसपेशियों में चिड़चिड़ापन और जकड़न महसूस होना.
– मांसपेशियों में अचानक खिचाव महसूस होना.
– मांसपेशियों में सूजन आना.

मांसपेशियों का दर्द दूर करने के घरेलू उपाय
वैसे तो एक्सपर्ट मानते हैं कि मांसपेशियों के दर्द का कोई परमानेंट इलाज नहीं है. दर्द होने पर आप पैरासीटामाल का उपयोग कर सकते हैं. हालांकि DOMS का दर्द अधिक होने पर आप कुछ घरेलू उपाय अपना सकते हैं.

लहसुन का तेल
मांसपेशियों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए लहसुन के तेल का उपयोग कर सकते हैं. लहसुन की 2 से 4 कलियां लेकर सरसों के तेल में डालकर गर्म करें और इससे हल्के हाथों से मालिश करें. लहसुन में एलिसिन नामक तत्व होता है जो दर्द को कम करने में मदद करता है.

बर्फ से सिकाई करें
मांसपेशियों में खिंचाव की वजह से होने वाले दर्द में आईस पैक का इस्तेमाल कर सकते हैं. एक्सपर्ट के अनुसार बर्फ से मांसपेशियों में अंदर तक ठंडक जाती है जिससे दर्द कम होता है और सूजन में भी राहत मिलती है.

सेब का सिरका
मांसपेशियों के दर्द में सेब का सिरका भी काफी राहत देता है. सेब के सिरके में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो सूजन को कम करने का काम करते हैं. सेब का सिरका गठिया के दर्द से छुटकारा दिलाता है.

दालचीनी का तेल
दालचीनी के पोषक तत्व मांसपेशियों के जरड़न में राहत देते हैं. यदि नियमित तौर पर दालचीनी के तेल से मालिश की जाए तो इससे गठिया, जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों के अकड़न से राहत मिलती है.

 

 

सर्दी में छुहारा खाने के हैं ये 5 फायदे, कैंसर को जोखिम भी करता है कम

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