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कोलन कैंसर से पीड़ित थे स्टार फुटबॉलर, ऐसे शुरुआती लक्षणों से लगाया जा सकता है रोग का अंदाजा

कोलन कैंसर से पीड़ित थे स्टार फुटबॉलर, ऐसे शुरुआती लक्षणों से लगाया जा सकता है रोग का अंदाजा

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कोलन कैंसर से पीड़ित थे स्टार फुटबॉलर, ऐसे शुरुआती लक्षणों से लगाया जा सकता है रोग का अंदाजा

दिग्गज फुटबॉलर पेले का गुरुवार (29 दिसंबर) को 82 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह लंबे समय से कोलन कैंसर से जूझ रहे थे। पिछले साल सितंबर में ही उनमें इस गंभीर रोग का निदान किया गया था। इलाज के तौर पर उनकी कीमोथेरपी की गई हालांकि उससे ज्यादा लाभ नहीं हुआ। बीते 22 दिसंबर को मेडिकल रिपोर्ट में डॉक्टर्स ने बताया कि उनका कैंसर बढ़ गया है, अंतत: 29 दिसंबर को चैंपियन फुलबॉलर ने आखिरी सांस ली। शुक्रवार को भारत सहित पूरी दुनिया के लिए यह खबर शोक की लहर लाने वाली रही। सर्वकालिक महान फुटबॉलरों में से एक माने जाने वाले पेले तीन बार के विश्व कप विजेता थे।


पेले करीब एक साल से गंभीर कोलन कैंसर के शिकार थे, पूरी दुनिया में इस रोग का खतरा काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं,  बड़ी आंत में ट्यूमरस वृद्धि के कारण कोलन कैंसर होता है, इसके कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है।

अगर समय रहते इसके लक्षणों पर ध्यान दिया जाए तो इलाज में आसानी होती है और जीवित रहने की अवधि बढ़ सकती है। आइए इस कैंसर की स्थिति के बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।

कोलन कैंसर के बारे में जानिए


कोलन कैंसर, कोलन (बड़ी आंत) या मलाशय में शुरू होता है। बृहदान्त्र और मलाशय वे अंग हैं जो आपके पाचन तंत्र के निचले हिस्से को बनाते हैं। कोलन कैंसर को कोलोरेक्टल कैंसर भी कहा जाता है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (ACS) का अनुमान है कि 23 में से 1 पुरुष और 25 में से 1 महिला को अपने जीवनकाल में कोलोरेक्टल कैंसर हो सकता है।

45-50 की आयु में सभी लोगों को इसकी स्क्रीनिंग कराने की सलाह दी जाती है। इसके लक्षणों पर ध्यान देना बहुत आवश्यक माना जाता है।

कोलन कैंसर के लक्षण क्या हैं?


डॉक्टर कहते हैं, कुछ लक्षणों पर ध्यान देकर रोग को गंभीर स्थिति में पहुंचने से रोका जा सकता है। हालांकि ज्यादातर स्थितियों में प्रारंभिक चरणों में कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं। शरीर में होने वाली कुछ समस्याओं पर ध्यान देकर इस गंभीर रोग का अंदाजा लगाया जा सकता है। इनमें से अगर 2-3 लक्षण बने रहते हैं तो डॉक्टर से मिलकर जांच जरूर करा लें।

 

  • अक्सर दस्त या कब्ज की दिक्कत बने रहना।
  • मल के साथ खून आना, जिससे मल गहरे भूरे या काले रंग का दिखाई दे सकता है।
  • अक्सर पेट दर्द, क्रैम्पिंग, सूजन, या गैस।
  • मल त्यागने के बावजूद लगातार शौच की इच्छा होना।
  • कमजोरी और थकान, वजन घटते रहना।
  • आयरन की कमी या एनीमिया का दिक्कत।

कोलन कैंसर के कारण

कोशिकाओं के भीतर डीएनए में परिवर्तन के परिणामस्वरूप कैंसर होता है। कुछ उत्परिवर्तन के कारण कोलन की परत में असामान्य कोशिकाएं जमा होने लग जाती हैं, जो कोलन कैंसर का

कारण बन सकती हैं। इसके अलावा जीवनशैली के कई कारक भी इस कैंसर के विकास का कारण बन सकते हैं, जिसपर सभी लोगों को गंभीरता से ध्यान देते रहना चाहिए।

  • अधिक वजन या मोटापा की स्थिति।
  • धूम्रपान और शराब पीने वालों में जोखिम अधिक।
  • टाइप-2 डायबिटीज भी बढ़ा सकती है जोखिम।
  • गतिहीन जीवनशैली के कारण खतरा।
  • प्रोसेस्ड मीट का अधिक सेवन करना।
कोलन कैंसर से बचाव के लिए क्या करें?

कोलन कैंसर के कुछ जोखिम कारकों जैसे फैमिली हिस्ट्री, डीएन परिवर्तन और उम्र संबधी जोखिमों से बचाव नहीं किया जा सकता है, पर इसके लाइफस्टाइल संबंधी कारकों पर ध्यान देकर इस जोखिम को कम किया जा सकता है। 
  • रेड मीट का सेवन कम करें।
  • पौधे पर आधारित खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करें।
  • आहार में वसा की मात्रा को घटाएं।
  • प्रतिदिन व्यायाम करना, वजन कम करना जरूरी है।
  • शराब और धूम्रपान से बिल्कुल दूरी बनाकर रखें।
  • डायबिटीज को कंट्रोल में रखें।

 

 

 

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