• +91 99920-48455
  • a2zsolutionco@gmail.com
सरदार वल्लभभाई पटेल के आदर्ष जीवन की घटना

सरदार वल्लभभाई पटेल के आदर्ष जीवन की घटना

  • By Admin
  • 18
  • Comments (04)

सरदार वल्लभभाई पटेल के आदर्ष जीवन की घटना

आदर्श जीवन क्या हैं | कैसे के व्यक्ति विकट परिस्थती में अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखता हैं | सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन से जुड़ी यह कहानी हमें आदर्श जीवन की परिभाषा समझाती हैं |लोह पुरुष कहलाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन आदर्षों का एक उदहारण हैं जो हर मायने में हमारे लिए प्रेरणाप्रद हैं | उन्ही के जीवन से जुड़ी एक घटना आपके लिए प्रस्तुत हैं |

लोह पुरुष श्री वल्लभभाई पटेल पेशे से एक वकील थे और सादगीपूर्ण अपनी वकालत का कार्य करते थे | उस वक्त उनकी पत्नी उनके साथ ना रहकर गाँव में रहती थी | अचानक ही उनकी पत्नी की तबियत ख़राब हो गई | खबर मिलते ही वल्लभ भाई गाँव पहुँचे और पत्नी की सेवा में लग गये | उस वक्त वल्लभ भाई एक निर्दोष व्यक्ति का केस लड़ रहे थे जिसे धोखे से आरोप में फँसा दिया गया था | उस वक्त उसी व्यक्ति की पेशी पड़ी | वल्लभभाई को टेलीग्राम के जरिये संदेश आया | पत्नी की स्थिती ठीक नहीं थी | वल्लभभाई विचार में थे | उनके यह भाव देख पत्नी ने कहा – आप ! जाइये ये आपका कर्तव्य हैं | कहीं ऐसा ना हो कि आपके ना जाने से किसी बेकसूर को सजा मिल जायें | वल्लभभाई ने तुरंत जाने का निर्णय लिया |

वल्लभभाई ने केस की तैयारी की और अदालत में जाकर बैठे | तभी उन्हें  एक टेली ग्राम आया जिसे देख उन्होंने जेब में रख लिया | सभी के मन में सवाल था | आखिर टेलीग्राम क्यूँ आया क्यूंकि उन दिनों तार या टेलीग्राम किसी विशेष खबर के लिए ही आया करते थे | लेकिन वल्लभभाई पटेल ने टेलीग्राम को जेब में रख अपनी पैरवी शुरू की और अपनी दलीलों एवम सबूतों के आधार पर बेगुनाह को बचाया | सभी ने पेरवी सुनकर वल्लभभाई की सराहना की | तब ही एक ने उस टेलीग्राम के बारे में पूछा | तब वल्लभभाई ने टेलीग्राम दिखाया जिसमे लिखा था कि उनकी पत्नी का देहांत हो गया हैं | सभी स्तब्ध रह गये | उनसे पूछा गया कि वे अपनी बीमार पत्नी को छोड़कर क्यूँ आयें | तब उन्होंने कहा कि उसी के परामर्श पर आया हूँ |वो भी जानती थी कि वकील का कर्तव्य किसी निर्दोष की रक्षा करना हैं और वही मेरा धर्म हैं |

इसी कर्तव्यनिष्ठा के कारण वल्लभभाई पटेल को लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल कहा गया और इतिहास में उनका नाम अमर हुआ |

महान बनाना आसान नहीं | इतिहास के जिन पन्नो में ऐसे महानतम व्यक्ति का नाम होता हैं | वही उनकी कुर्बानी और सहनशीलता की आधारशिला पर ही उनके व्यक्तितव का निर्माण होता हैं |

साधारण व्यक्ति के लिए इस तरह की सोच की कल्पना भी साहस की बात हैं | जीवन में कई ऐसे मोड़ आते हैं | जब भावनाओं को परे रख इंसान को कर्तव्य के पथ पर चलना होता हैं और जो यह कर पाता हैं वही महानतम बनता हैं |

आसानी से हम ऐसे महान व्यक्ति के लिए कई सवाल खड़े कर देते हैं | वास्तविकतौर पर हम उनके कर्तव्यनिष्ठ जीवन के आगे उनकी कुर्बानी को जान ही नहीं पाते और अपनी छोटी सोच के साथ इन महानतम लोगो के जीवन की समीक्षा करते हैं | सही गलत का हिसाब बनाते हैं |

ऐसे महान व्यक्ति के जीवन की यह घटनायें ही हमें कर्तव्य का बोध कराती हैं | वास्तव में यही विभूतियाँ हमारे लिये भगवान् कृष्ण के तुल्य हैं जो हमें अपने कर्मों से सही मार्ग के दर्शन करवाती हैं |

सरदार वल्लभभाई पटेल के आदर्ष जीवन (Aadarsh Jeevan) की घटना इस कहानी के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त करें |

वल्लभभाई पटेल का प्रारम्भिक जीवन, जन्म, आयु, परिवार, मृत्यु (Sardar Vallabhbhai Patel age, death, wife, family, education)

वल्लभभाई पटेल एक कृषक परिवार से थे, जिसमे चार बेटे थे. एक साधारण मनुष्य की तरह इनके जीवन के भी कुछ लक्ष्य थे. यह पढ़ना चाहते थे, कुछ कमाना चाहते थे और उस कमाई का कुछ हिस्सा जमा करके इंग्लैंड जाकर अपनी पढाई पूरी करना चाहते थे. इन सबमे इन्हें कई परिशानियों का सामना करना पड़ा. पैसे की कमी, घर की जिम्मेदारी इन सभी के बीच वे धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहे. शुरुवाती दिनों में इन्हें घर के लोग नाकारा समझते थे. उन्हें लगता था ये कुछ नहीं कर सकते. इन्होने 22 वर्ष की उम्र में मेट्रिक की पढाई पूरी की और कई सालों तक घरवालो से दूर रहकर अपनी वकालत की पढाई की, जिसके लिए उन्हें उधार किताबे लेनी पड़ती थी. इस दौरान इन्होने नौकरी भी की और परिवार का पालन भी किया. एक साधारण मनुष्य की तरह ही यह जिन्दगी से लड़ते- लड़ते आगे बढ़ते रहे, इस बात से बेखबर कि ये देश के लोह पुरुष कहलाने वाले हैं.

कैसे मिला सरदार पटेल नाम (बारडोली सत्याग्रह)

इस बुलंद आवाज नेता वल्लभभाई ने बारडोली में सत्याग्रह का नेतृत्व किया. यह सत्याग्रह 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ किया गया था. इसमें सरकार द्वारा बढ़ाये गए कर का विरोध किया गया और किसान भाइयों को एक देख ब्रिटिश वायसराय को झुकना पड़ा. इस बारडोली सत्याग्रह के कारण पुरे देश में वल्लभभाई पटेल का नाम प्रसिद्द हुआ और लोगो में उत्साह की लहर दौड़ पड़ी. इस आन्दोलन की सफलता के कारण वल्लभ भाई पटेल को बारडोली के लोग सरदार कहने लगे जिसके बाद इन्हें सरदार पटेल के नाम से ख्याति मिलने लगी.

आजादी के पहले एवम बाद में अहम् पद

इनकी लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही थी, इन्होने लगातार नगर के चुनाव जीते और 1922, 1924 और 1927 में अहमदाबाद के नगर निगम के अध्यक्ष के रूप में चुने गए. 1920 के आसपास के दशक में पटेल ने गुजरात कांग्रेस को ज्वाइन किया, जिसके बाद वे 1945 तक गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष बने रहे. 1932 में इन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. इन्हें कांग्रेस में सभी बहुत पसंद करते थे. उस वक्त गाँधी जी, नेहरु जी एवं सरदार पटेल ही नेशनल कांग्रेस के मुख्य बिंदु थे. आजादी के बाद वे देश के गृहमंत्री एवं उपप्रधानमंत्री चुने गए. वैसे सरदार पटेल प्रधानमंत्री के प्रथम दावेदार थे उन्हें कांग्रेस पार्टी के सर्वाधिक वोट मिलने के पुरे आसार थे लेकिन गाँधी जी के कारण उन्होंने स्वयं को इस दौड़ से दूर रखा.

 

पॉलिटिकल करियर

  • 1917 में बोरसाद में एक स्पीच के जरिये इन्होने लोगो को जागृत किया और गाँधी जी का स्वराज के लिए उनकी लड़ाई में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रेरित किया.
  • खेडा आन्दोलन में अहम् भूमिका निभाई एवम अकाल और प्लेग से ग्रस्त लोगो की सेवा की.
  • बारडोली सत्याग्रह में इन्होने लोगो को कर ना देने के लिए प्रेरित किया और एक बड़ी जीत हासिल की, जहाँ से इन्हें सरदार की उपाधि मिली.
  • असहयोग आन्दोलन में गाँधी जी का साथ दिया. पुरे देश में भ्रमण कर लोगो को एकत्र किया और आन्दोलन के लिए धन राशी एकत्र की.मेंआजादी के बाद देश के गृहमंत्री एवं उपप्रधानमंत्री बने.
  • इस पद पर रहते हुए इन्होने राज्यों को देश में मिलाने का कार्य किया, जिससे उन्हें के लोह पुरुष की छवि मिली.

पटेल एवं नेहरु के बीच अंतर (Vallabhbhai Patel Vs Jawahar Lal Nehru)

पटेल एवं नेहरु दोनों गाँधी विचार धारा से प्रेरित थे, इसलिए ही शायद एक कमान में थे. वरना तो इन दोनों की सोच में जमीन आसमान का अंतर था. जहाँ पटेल भूमि पर थे, मिट्टी में रचे बसे साधारण व्यक्तित्व के तेजस्वी व्यक्ति थे. वही नेहरु जी अमीर घरानों के नवाब थे, जमीनी हकीकत से दूर, एक ऐसे व्यक्ति जो बस सोचते थे और वही कार्य पटेल करके दिखा देते थे. शैक्षणिक योग्यता हो या व्यवहारिक सोच हो इन सभी में पटेल नेहरु जी से काफी आगे थे. कांग्रेस में लिए पटेल एक बहुत बड़ा रोड़ा थे.

वल्लभभाई पटेल की मृत्यु (Sardar Vallabhbhai Patel Death Anniversary):

1948 में हुई गाँधी जी की मृत्यु के बाद पटेल को इस बात का गहरा आघात पहुँचा और उन्हें कुछ महीनो बाद हार्ट अटैक हुआ, जिससे वे उभर नहीं पाए और 15 दिसम्बर 1950 को इस दुनिया से चले गए.

सरदार बल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय सम्मान (Sardar Vallabhbhai Patel Awards)

राष्ट्रीय सम्मान (sardar patel statue):

1991 में इन्हें भारत रत्न का सम्मान दिया गया.इनके नाम से कई शेक्षणिक संस्थायें हैं. हवाईअड्डे को भी इनका नाम दिया गया.

स्टेच्यु ऑफ़ यूनिटी के नाम से सरदार पटेल के 2013में उनके जन्मदिन पर गुजरात में उनका स्मृति स्मारक बनाने की शुरुवात की गई, यह स्मारक भरूच (गुजरात) के पास नर्मदा जिले में हैं.

लोह पुरुष की ऐसी छवि

ना देखी, ना सोची कभी
आवाज में सिंह सी दहाड़ थी
ह्रदय में कोमलता की पुकार थी 
एकता का स्वरूप जो इसने रचा
देश का मानचित्र पल भर में बदला
गरीबो का सरदार था वो
दुश्मनों के लिए लोहा था वो
आंधी की तरह बहता गया
ज्वालामुखी सा धधकता गया
बनकर गाँधी का अहिंसा का शस्त्र
महकता गया विश्व में जैसे कोई ब्रहास्त्र
इतिहास के गलियारे खोजते हैं जिसे
ऐसे सरदार पटेल अब ना मिलते पुरे विश्व में

सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन परिचय से यह बात सामने आती हैं कि मनुष्य महान बनकर पैदा नहीं होता. उनके प्रारम्भिक जीवन को जानने के बाद हम कह सकते हैं कि यह आप और हम जैसे ही एक व्यक्ति थे, जो रूपया पैसा और एक सुरक्षित भविष्य की चाह रखता हैं लेकिन कर्म के पथ पर आगे बढ़ते-बढ़ते बेरिस्टर वल्लभभाई पटेल, सरदार पटेल, लोह पुरुष वल्लभभाई पटेल बन गए.

सरदार वल्लभभाई पटेल अनमोल वचन, नारे, स्लोगन (Sardar Vallabhbhai Patel Quotes and  Slogan )

  • कभी- कभी मनुष्य की अच्छाई उसके मार्ग में बाधक बन जाती हैं कभी- कभी क्रोध ही सही रास्ता दिखाता हैं. क्रोध ही अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की ताकत देता हैं.
  • डर का सबसे बड़ा कारण विश्वास में कमी हैं.
  • सरदार पटेल की अहिंसा की परिभाषा :

“ जिनके पास शस्त्र चलाने का हुनर हैं लेकिन फिर भी वे उसे अपनी म्यान में रखते हैं असल में वे अहिंसा के पुजारी हैं. कायर अगर अहिंसा की बात करे तो वह व्यर्थ हैं. “

  • जिस काम में मुसीबत होती हैं,उसे ही करने का मजा हैं जो मुसीबत से डरते हैं,वे योद्धा नहीं. हम मुसीबत से नहीं डरते.
  • फालतू मनुष्य सत्यानाश कर सकता हैं इसलिए सदैव कर्मठ रहे क्यूंकि कर्मठ ही ज्ञानेन्द्रियो पर विजय प्राप्त कर सकता हैं.

यह थे सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा कहे कुछ अनमोल वचन जो हमें एक सफल जीवन का पथ दिखाते हैं. महानत व्यक्ति के बोल महज शब्द जाल नहीं होते उनमे अनुभवों की विशालता एवं गहराई होती हैं जो मनुष्य के जीवन को सही दिशा देती हैं.

सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रश्न उत्तर

सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती कब है?

31 अक्टूबर

सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु कब हुई?

15 December 1950

सरदार वल्लभ भाई पटेल का पूरा नाम क्या था?

वल्लभभाई झवेर भाई पटेल

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म कहां हुआ था ?

नाडियाड

 

  • Share This: