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“बेटी बचाओं,बेटी पढ़ाओ” हिंदी कविता

“बेटी बचाओं,बेटी पढ़ाओ” हिंदी कविता

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“बेटी बचाओं,बेटी पढ़ाओ” हिंदी कविता

बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ (Beti Bachaon,Beti Padhao)यह अभियान मध्य परदेश सरकार द्वारा शुरू किया गया अब यह बेटी बचाओ, बेटी पढाओं (Beti Bachaon, Beti Padhao)के नाम से देशव्यापी स्तर पर शुरू होने जा रहा हैं . वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2014 बजट में बेटी बचाओ बेटी पढाओं को शामिल कियासत्यमेव जयते जो कि स्टार प्लस पर प्रसारित हुआ था उसमे भी कन्याभ्रूणहत्या के विषय में जो तथ्य सामने आये वो भयावह थे. एपिसोड के टेलीकास्ट के पहले मेरे घर में इसी विषय पर बात हो रही थी जिसमे हम यही मान रहे थे कि कन्याभ्रूणहत्या केवल छोटे गाँव में होता हैं पढ़े लिखे लोग ऐसा नहीं करते पर जिस दिन सत्यमेव जयते का एपिसोड देखा जिसमे उस परिवार की बात थी जिसमे एक डॉक्टर की दो जुड़वाँ बेटियाँ थी जिन्हें उनकी दादी मारने की कोशिश में सीढ़ियों से फेंक देती हैं यह देख आँखे सन्न थीयह बाते छिपा ली जाती हैं पर हर कोई बेटा ही चाहता हैं अगर बेटा इतना ही महान होता तो इतनी बड़ी संख्या में वृद्ध आश्रम ना होते .

मैं भी लेती श्वास हूँ

 पत्थर नहीं इंसान हूँ

कोमल मन हैं मेरा

वही भोला सा हैं चेहरा

जज़बातों में जीती हूँ
बेटा नहीं, पर बेटी हूँ

कैसे दामन छुड़ा लिया

जीवन के पहले ही मिटा दिया

तुझ से ही बनी हूँ
बस प्यार की भूखी हूँ

जीवन पार लगा दूंगी

अपनालों, मैं बेटा भी बन जाऊँगी

दिया नहीं कोई मौका
बस पराया बनाकर सोचा

एक बार गले से लगा लो
फिर चाहे हर कदम आज़मालो

हर लड़ाई जीत कर दिखाऊंगी
मैं अग्नि में जलकर भी जी जाऊँगी

चंद लोगो की सुन ली तुमने
मेरी पुकार ना सुनी

मैं बोझ नहीं, भविष्य हूँ
बेटा नहीं, पर बेटी हूँ

कर्णिका पाठक

भारत की गरिमा प्रेम और सौहाद्र से हैं इस पवित्र देश में कैसे ऐसा घिनौना अपराध रोज होता हैं यह शर्मनाक हार हैं. बेटियों के जीवन के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (Beti Bachaon, Beti Padhaon)जैसे अभियान चलाना गर्व की बात नहीं हैं . शर्म की बात हैं कि माँ बाप को कहना पड़ रहा हैं कि अपने खून की हत्या ना करों .यूवा वर्ग को इस ओर कदम बढ़ाने की जरुरत हैं बेटी बचाओं, बेटी बढ़ाओ (Beti Bachaon, Beti Padhao) बस एक अभियान नहीं एक देशव्यापी आन्दोलन बनाना चाहिए.

यह हिंदी कविता “नन्ही की पुकार” सामाजिक बुराई कन्या भ्रूणहत्या Female Foeticide पर लिखी गई हैं एक बच्ची के दिल की पुकार हैं जिसमे उसने इस समाज की सभी महिलाओ से सवाल किये हैं |

बेटी एक प्यार का समन्दर हैं जिसे आज इस दुनिया में अपनी जगह के लिए लड़ना पड़ रहा हैं | एक नन्ही बच्ची अपने आपको सबसे सुरक्षित अपनी माँ की गोद में ही पाती हैं उसे जो दुलार अपनी माँ के सांये में मिलता हैं वो कहीं नहीं मिलता हैं | लेकिन बेटी जब हताश हो जाती हैं जब एक माँ ही उसे अपने गर्भ में मारने का निर्णय लेती हैं | जब एक औरत ही औरत की दुश्मन हो जाती हैं तो इस तरह के पाप को अंजाम देती हैं | क्या कसूर हैं इस नन्ही कली का जो उसकी माँ ही उसे मार देती हैं | जब माँ ही बेटी की सगी नहीं तो पराई दुनिया क्या उसे प्यार देगी | 

आज के इस दौर में जब लड़कियों ने हर क्षेत्र में अपना नाम बनाया हैं उसे हक़ हैं जीवन जीने का | और कन्या भ्रूणहत्या (Female Foeticide) को रोकने के लिए औरत को आवाज उठाने की जरुरत हैं | डर कर अन्याय सहने से कुछ ना होगा | यह सवाल उस नन्ही का हैं जो दुनियाँ में आने से पहले ही बेदर्दी से मार दी जाती हैं उसे इन्साफ दिलाने के लिए हर माँ को आवाज उठानी होगी और साथ ही यह स्वीकार करना होगा कि बेटा हो या बेटी उसे जीवन का अधिकार हैं |

नन्ही की पुकार 

माँ तेरे आँचल में छिप जाने को मन करता है,
तेरी गोद में सो जाने को मन करता है |
जब तू है साथ मेरे,जिन्दगी जीने का  मन करता है |
तू ही है जिसके साथ,मै खुश हूँ ,
बस तेरे दामन में ही मह्फुस हूँ,
पर माँ, जब तू भी दुश्मन बन जाती है,
मेरी नन्ही सांसों को, जब तू ही खामोश कर जाती है|
क्या कसूर होता है मेरा, जो तू भी पराया कर जाती है |
मुझे जिन्दगी के बजाय, मौत के आगोश में सुला देती है|
डरती है रूह मेरी, न जाने कब क्या होगा ,
जब तू भी साथ ना है माँ ,तो कौन मेरा अपना होगा ,
कौन मेरा अपना होगा ????

 

“बेटी बचाओं,बेटी पढ़ाओ” हिंदी कविता

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