• +91 99920-48455
  • a2zsolutionco@gmail.com
मन की शांति पाने का राज man ki shanti pane ka raaj

मन की शांति पाने का राज man ki shanti pane ka raaj

  • By Admin
  • 4
  • Comments (04)

मन की शांति पाने का राज man ki shanti pane ka raaj

एक राजा हमेशा उदास रहता था। उसका मन भटकता रहता था।

लाख कोशिश करने के बावजूद उसके मन को शांति नहीं मिलती थी।

राजा की इस उदासी के कारण उसका मन राज-काज के कार्यों में नहीं लगता था, जिससे राज-काज के कार्य प्रभावित हो रहे थे।

राजा के दरबारी व मंत्री भी राजा की इस समस्या का समाधान नहीं कर पा रहे थे। एक बार उसके नगर में एक भिक्षु आया। भिक्षु के ज्ञानपूर्वक उपदेश से राजा बहुत प्रभावित हुआ।

उसने भिक्षु से पूछा - मैं राजा हूँ, मेरे पास सबकुछ है, किन्तु फिर भी मेरे मन में शांति नहीं है।

मुझे क्या करना चाहिए ?

भिक्षु ने राजा की बात पर गौर किया और फिर कुछ सोचकर बोले - राजन! आप प्रतिदिन भेष बदलकर अपनी प्रजा के बीच में जाएं और यह जानने की कोशिश करें की प्रजा का क्या हाल है और आपका राज्य कैसा चल रहा है ? राजा ने भिक्षु की बात मानी और प्रतिदिन भेष बदलकर प्रजा के बीच जाने लगा।

प्रजा के बीच जाने से राजा को बहुत हैरानी वाली बातें पता लगा। उसे पता चला कि प्रजा बहुत दुखी है।

उसके राज-काज के कार्यों में कम दिलचस्पी लेने की वजह से राज्य के अधिकारी लापरवाह और रिश्वतखोर हो गए हैं।

जमाखोरों की वजह से दैनिक कार्यों की मूलभूत वस्तुओं के भाव बढ़ने से महंगाई बढ़ गई हैं। खिन पानी की समस्या थी तो कहीं स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव था।

धनी लोग तथा राजा के रिश्वतखोर अधिकारी मिली-भगत से राज्य की संपदा लूट रहे थे। गरीब व्यक्ति और गरीब होता जा रहा था। प्रजा में राजा के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा था, किसी भी वक्त प्रजा राजा के खिलाफ विद्रोह कर सकती थी।

यह सब जानकार राजा तुरंत सब कुछ भूलकर राज-काज के कार्यों में जूट गया।

रिश्वतखोर अधिकारीयों को गिरफ्तार कर जेल में दाल दिया।

जमाखोरों के गोदामों पर छापे मार कर सारा माल जब्त किया गया। राजा ने खुला दरबार लगाकर प्रत्यक्ष रूप से प्रजा की समस्याएं सुननी शुरू कर दी और जितनी जल्दी हो सकता था, उन समस्याएं सुननी शुरू कर दी और जितनी जल्दी हो सकता था, उन समस्याओं का समाधान करने लगा।

प्रजा के मन में राजा के प्रति सम्मान बढ़ने लगा। कुछ दिनों बाद भिक्षु राजा राजा से मिला और पूछा - राजन! आपको कुछ शांति प्राप्त हुई ?

राजा बोलै - मुझे पूर्ण रूप से शांति तो नहीं मिली किन्तु जबसे मैंने अपनी प्रजा के दुखों के बारे में जाना है, मैं उनके दुःख निवारण में लगा हूँ। इससे मेरे मन को थोड़ी-थोड़ी शांति मिल रही है। तब भिक्षु ने समझाया - राजन! आपने शांति के मार्ग को खोज लिया है। बीएस उस पर आगे बढ़ते जाएं। एक राजा तभी प्रसन्न रह सकता है, जब उसकी प्रजा सुखी हो।

कक्ठा का सारा यह है कि देश के शासकों को आम जनता के दुःख तकलीफों के बारे में गहराई से जानना चाहिए और उनका निवारण करना चाहिए।

अगर आम जनता सुखी होगी तो देश के शासक भी सच्चा सुख अनुभव कर सकेंगें और देश तरक्की की रह पर चलेगा।

मन की शांति पाने का राज man ki shanti pane ka raaj
  • Share This: