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कंजूस महिला  Kanjoos Mahila

कंजूस महिला Kanjoos Mahila

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कंजूस महिला  Kanjoos Mahila

एक बार ईश्वर अपना वेश बदलकर संसार के भ्रमण पर निकले।

वे देखना चाहते थे कि संसार में कहाँ क्या चल रहा है।

उन्होंने एक घर का दरवाज़ा खटखटाया।

अंदर एक महिला रोटियाँ बना रही थी।

यह महिला बहुत ही कंजूस थी।

उसने काले रंग कौ घाघरा-चोली पहनी हुई थी और बालों को लाल रंग के दुपट्टे से ढका हुआ था।

वह रोटी बनाते-बनाते बाहर आई।

संन्यासी के वेश में ईश्वर ने कहा, “बहन, एक रोटी खाने को मिलेगी क्या ?'

संन्यासी को देखकर महिला सीधे मना नहीं कर पाई।

वह बोली, “महाराज, आप अंदर आइए।

मैं आपके लिए गरम रोटी बनाती हूँ।'

संन्यासी को उसने रसोई में एक आसन पर बैठा दिया।

फिर एक आटे का गोला बनाकर बेलने लगी।

उसने गोले को इतना बेला, इतना बेला कि वह पत्ते जैसा पतला हो गया।

जैसे ही वह उसे उठाकर तवे पर डालने लगी, वह फट गया।

उसने एक और गोला लिया और उसे बेलने लगी।

वह उसे बेलती गई, बेलती गई।

बेलते-बेलते रोटी इतनी पतली हो गई कि नज़र आनी ही बंद हो गई।

उसने संन्यासी से कहा, 'एक बार और कोशिश करती हूँ।'

अब उसने एक और गोला लिया, बड़ा-सा।

फिर उसे बेलने लगी।

बेलते-बेलते यह गोला पतला तो नहीं हुआ।

लेकिन इतना बड़ा हो गया कि तवे पर रखा ही नहीं जा सकता था।

संन्यासी को क्रोध आ गया।

वह बोले, (हम जान गए हैँ कि तुम हमें रोटी खिलाना ही नहीं चाहती हो।

हम तुम्हें एक चिडिया बनाते हैं एक ऐसी चिड़िया जिसको खाना ढूँढ़ने के लिए पेड़ों को खोदना पडेगा और जिसको पानी पीने के लिए बारिश का इंतज़ार करना होगा।

आज से तुम सिर्फ बरसात का पानी ही पी पाओगी।'

ईश्वर के इतना कहते ही वह महिला चिडिया बन गई।

एक काली चिडिया, जिसके बालों पर लाल रंग की कलगी थी।

आज भी, ऐसी चिडिया पाई जाती है।

हम इसे कहते हैं - कठफोड्वा।

क़ठफोड्वे को खाना ढूँढ़ने के लिए अपनी चोंच से पेड़ों के तनों को फोड्ना पड़ता है।

और कहते हैं कि कठफोड़वा पानी पीने के लिए पूरे साल बारिश का इंतज़ार करता हे।

कंजूस महिला Kanjoos Mahila
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