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चाट रहे थे chaat rahe the

चाट रहे थे chaat rahe the

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चाट रहे थे chaat rahe the

बादशाह अकबर बीरबल से अकसर हँसी-दिल्लगी करते ही रहते थे।

हँसी-हँसी में ऐसी भी बातें कह जाते थे, जो निरुत्तर करने और नीचा दिखाने के लिए कही जाती हैं।

एक दिन इसी उद्देश्य से बादशाह बोले, 'बीरबल!'

'जी!'

'रात मैंने एक सपना देखा।'

क्या देखा हुजूर सपने में ?'

'देखा क्या, हम आसमान में उड़ रहे थे। हम से मतलब है मैं भी और तुम भी।'

बीरबल ने अकबर की ओर आश्चर्य से देखा।

अकबर ने आगे बताया, 'उड़ते-उड़ते हम दोनों नीचे गिर गए।

जब गिर गए तो मैंने देखा-मैं तो हूँ शहद के कुंड में और तुम पड़े थे पाखाने में।'

'फिर ?'

'फिर कुछ नहीं दिखाई दिया था।

मेरी आँख अचानक खुल गई थी। मैं जग गया था। सपना इतना ही दीखा।'

'मेरी भी सुन लीजिए।

रात बिलकुल यही सपना मुझे दिखाई दिया था।

मैं पाखाने के कुंड में गिरा था और आप सीधे शहद के कुंड में गिरे थे, आपका सपना वहीं टूट गया था परंतु मेरा सपना आगे भी जारी रहा।

आगे मैंने उसी सपने में देखा कि हम दोनों सने हुए अपने-अपने कुंडों से बाहर निकल आए, इसके बाद हम लोग एक-दूसरे को चाटने लगे।

आप मुझे और मैं आपको। यह मैंने सपने में देखा था।'

बादशाह लज्जित हो गए।

उन्होंने तो झूठ ही कहा था।

बीरबल ने भी झूठ का दाँव मारा था।

बीरबल को निरुत्तर करने की इच्छा करता हुआ बादशाह स्वयं ही निरुत्तर हो गया।

चाट रहे थे chaat rahe the
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