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बीरबल बने मेहमान birbal bane mehman

बीरबल बने मेहमान birbal bane mehman

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बीरबल बने मेहमान birbal bane mehman

एक दिन बीरबल किसी दूसरे शहर में अपने रिश्तेदारों से मिलने पहुंचे । बीरबल को आता देखकर पति-पत्नी ने लड़ाई का नाटक करने का फैसला किया । आदमी ने एक लकड़ी हाथ में ली और लड़ाई का नाटक शुरू कर दिया ।

बीरबल ने जब यह देखा तो वे समझ गए कि यह सब नाटक है । वह घर के चौबारे में छुपकर बैठ गए ।

अब उन्होंने देखा कि पति-पत्नी ने लड़ाई रोक दी और अपनी-अपनी होशियारी जताने लगी ।

पति ने कहा, देखा किस होशियारी से मैंने लकड़ी उठाकर चलाई लेकिन तुम्हें एक भी नहीं लगी ।

इस पर पत्नी, आपने देखा, मैं कितनी चतुराई से चिल्लाई लेकिन रोइ नहीं ।

यह सुनकर बीरबल से न रहा गया और वह बोले, तुम लोगों ने देखा, मैं किस तरह से चौबारे में छिप गया लेकिन मैं गया नहीं ।

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बीरबल बने मेहमान Birbal Bane Mehman

एक दिन बीरबल किसी दूसरे शहर में अपने रिश्तेदारों से मिलने पहुँचे।

बीरबल को आता देखकर पति-पत्नी ने लड़ाई का नाटक करने का फैसला किया।

आदमी ने एक लकड़ी हाथ में ली और लड़ाई का नाटक शुरू कर दिया।

बीरबल ने जब यह सब देखा तो वे समझ गए कि यह सब नाटक है।

वह घर के चौबारे में छुपकर बैठ गए।

अब उन्होंने देखा कि पति-पत्नी ने लड़ाई रोक दी और अपनी-अपनी होशियारी जताने लगे।

पति ने कहा, 'देखा, किस होशियारी से मैंने लकड़ी उठाकर चलाई लेकिन तुम्हें एक भी नहीं लगी।'

इस पर पत्नी बोली, 'आपने देखा, मैं कितनी चतुराई से चिल्लाई लेकिन रोई नहीं।'

यह सुनकर बीरबल से न रहा गया और वह बोले, 'तुम लोगों ने देखा,

मैं किस तरह से चौबारे में छिप गया लेकिन मैं गया नहीं।'

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