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आम तोड़ना भारी पड़ा aam todana bhaaree pada

आम तोड़ना भारी पड़ा aam todana bhaaree pada

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आम तोड़ना भारी पड़ा aam todana bhaaree pada

एक न्यायाधीश अत्यंत सदा जीवन व्यतीत करते थे।

वह अपनी पत्नी के साथ एक साधारण मकान में रहते और सीमित साधनों में गुजारा करते थे।

अधिक की लालसा उनके मन में नहीं थी। जो अर्जित कर पाते थे, उसमें ही संतुष्ट रहते थे।

एक बार उन्हें किसी सरकारी कार्य से सतारा जिले में पाना पड़ा। सतारा में उन्हें अनेक स्थानों पर जाना था।

उनके साथ में उनकी पत्नी भी थी। उन्होंने पत्नी से कहा तुम सरकारी रेस्ट हॉउस में जाकर आराम करो में कार्य निपटाकर बाद में आ जाऊंगा। पत्नी ने घोड़ा-गाड़ी ली और गेस्टहाउस की ओर चल दी।

घोड़ा-गाड़ी रवाना हुई, तो मार्ग में एक आम का बगीचा दिखाई दिया। रसीले आम देखकर न्यायाधीश की पत्नी के मन में लालच आ गया।

उसने घोडा-गाड़ी रुकवाई और चुपके से आम बगीचे में दाखिल हो गई। पत्थर मारकर उसने दो-तीन आम गिराए।

दुर्भाग्यवश एक बड़ा आम उनके हाथ पर ही आ गिरा, जिससे उनकी स्वर्णजड़ित चूड़ी टूट गई। टूटा स्वर्ण अंश भी नहीं मिला। उन्हें बहुत पश्चात्ताप हुआ। घर आकर उन्होंने पति को सारी बात बताई। पति ने कहा- पराई वस्तु लेने का यही परिणाम होता है।

साथ में मुझे भी तुम्हारे अपराध की थोड़ी सजा मिल गई। मेरी घड़ी कहीं खो गई। न्यायाधीश की पत्नी ने भविष्य में ऐसा फिर नहीं करने का संकल्प लिया। सार यह है कि आप की कौड़ी पुण्य का सोना भी खींच लेती है।

अच्छे कर्म सद्गति की ओर तथा बुरे कर्म दुर्गति की ओर ले जाते हैं। अतः सदैव अच्छे कर्म करें।

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आम तोड़ना भारी पड़ा aam todana bhaaree pada

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आम तोड़ना भारी पड़ा aam todana bhaaree pada

एक न्यायाधीश अत्यंत सादा जीवन व्यतीत करते थे।

वह अपनी पत्नी के साथ एक साधारण मकान में रहते और सीमित साधनों में गुजारा करते थे।

अधिक की लालसा उनके मन में नहीं थी।

जो अर्जित कर पाते थे, उसमें ही संतुष्ट रहते थे। एक बार उन्हें किसी सरकारी कार्य से सतारा जिले में जाना पड़ा।

सतारा में उन्हें अनेक स्थानों पर जाना था। उनके साथ में उनकी पत्नी भी थी।

उन्होंने पत्नी से कहा तुम सरकारी रेस्ट हाऊस में जाकर आराम करो मैं कार्य निपटाकर बाद में आ जाऊंगा।

पत्नी ने घोड़ा-गाड़ी ली और गेस्टहाऊस की ओर चल दी।

घोड़ा-गाड़ी रवाना हुई, तो मार्ग में एक आम का बगीचा दिखाई दिया।

रसीले आम देखकर न्यायाधीश की पत्नी के मन में लालच आ गया। उसने घोड़ा-गाड़ी रुकवाई और चुपके से आम के बगीचे में दाखिल हो गई।

पत्थर मारकर उसने दो-तीन आम गिराए।

दुर्भाग्यवश एक बड़ा आम उनके हाथ पर ही आ गिरा, जिससे उनकी स्वर्णजड़ित चूड़ी टूट गई।

टूटा स्वर्ण अंशु-बी-नहीं मिला। उन्हें बहुत पश्चात्ताप हुआ। घर आकर उन्होंने पर्तिं ! सौरी बात बताई। पति ने कहा- “पराई वस्तु लेने का यही परिणाम होता है।

साथ में मुझे भी तुम्हारे अपराध की थोड़ी सज़ा मिल गई।

मेरी घड़ी कहीं गई।

न्यायाधीश की पत्नी ने भविष्य, अर ऐसा फिर नहीं करने का संकल्प लिया।

सार यह है कि पाप की पुण्य का सोना भी खींच लेती है। अच्छे कर्म सदगति की ओर तथा बुरे कर्म दुर्गति की ओर ले जाते हैं। अतः सदैव अच्छे कर्म करें।

आम तोड़ना भारी पड़ा aam todana bhaaree pada
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