नकल करो, मगर अकल से Naklh kro magar aklh s
एक बंदर सड़क के किनारे पेड़ पर बैठा हुआ था।
वह बहुत भूखा था।
तभी एक व्यक्ति केलों का एक गुच्छा लेकर पेड़ के नीचे आकर बैठ गया।
बंदर ने ऊपर से केले देखे तो खाने का मन करने लगा। उसने मौका देखकर चुपके से एक केला अपने लिए ले लिया।
उस व्यक्ति को अभी तक पता ही नहीं चल पाया था कि बंदर उसका केला ले गया है। उसने अपने लिए केला उठाया और छिला।
तभी उसने बंदर को देखा।
उसके हाथ में केला देखकर वह समझ गया कि बंदर ने उसका केला ले लिया है। उसे बहुत गुस्सा आया।
बंदर ने देखा कि वह व्यक्ति केला छील रहा है तो उसने भी केला छील लिया।
व्यक्ति ने केला खाना शुरू किया। बंदर ने भी केला खाया।
उस व्यक्ति ने बंदर को देखकर तरह-तरह के मुँह बनाए।
बंदर ने भी वैसे ही मुंह बनाए। केला खत्म होने पर व्यक्ति ने छिलका जमीन पर फेंक दिया।
नकलची बंदर हर बात की नकल कर रहा था।
लेकिन इस बार उसने उस व्यक्ति की नकल नहीं की। बल्कि वह पेड़ से उतरकर आया और छिलका पास में रखे एक कूड़ेदान में डाल दिया।
फिर उस व्यक्ति की ओर गुस्से से देखा और पेड़ पर चढ़ा गया।
जरा सोचो, कितनी शर्म आई होगी उस व्यक्ति को।
नकल करो, मगर अकल से Naklh kro magar aklh s