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बेचारा दुकानदार  Bachara Dukandar

बेचारा दुकानदार Bachara Dukandar

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बेचारा दुकानदार  Bachara Dukandar

एक दुकानदार खराब और मिलावटी सामन बेचकर अपने ग्राहकों को ठगता था।

वह घी का व्यापार करता था।

लेकिन शुद्ध घी में सस्ता तेल मिलाकर बेचता था।

राजा को उसके बारे में जब पता चला तो उसने दुकानदार को बुलाया।

फिर उसने कहा, तुम्हें तुम्हारे गलत काम के लिए सजा मिलेगी।

तुम्हें मैं तीन बातें कहता हूँ।

तुम स्वयं चुन लो कि तुम कौन-सी सजा भुगतान चाहते हो।

तब राजा ने तीन बातें कहीं 1000 रुपए का जुर्माना देना होगा।

या 125 कोड़े खाने होंगे।

या फिर 2 गिलास मिलावटी घी पीना होगा, जो तुम बेचते हो। दुकानदार बहुत लालची था।

उसने सोचा 1000 रुपया तो बहुत होते हैं।

125 कोड़े खाना भी मुश्किल होगा।

इसलिए उसने राजा से कहा, मैं दो गिलास घी पी जाऊंगा।

उसी की दुकान का घी लाकर उसे दिया गया।

उसने आज पहली बार घी चखा। इतना खराब घी उसने कभी चखा भी नहीं था।

खैर, आँखे बंद करके उसने किसी तरह आधा गिलास घी पिया।

उससे ज्यादा पीने की उसकी हिम्मत ही नहीं हुई। सजा पूरी तो नहीं हुई थी। इसलिए उसने कोड़े खाना मंजूर किया।

लेकिन अभी 25 कोड़े ही पड़े थे की दर्द के मारे उसकी बुरी हालत हो गई।

उसने सैनिक से रुकने की प्रार्थना की और राजा से कहा कि वह 1000 रुपए जुर्माना देने को तैयार है।

इस तरह लालच के कारण उसने घी भी पिया, कोड़े भी खाये और 1000 रुपए का जुर्माना भी दिया।

बेचारा दुकानदार।

बेचारा दुकानदार Bachara Dukandar
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