बुराई से निपटने का स्टिक उपाय buraee se nipatane ka stik upaay
एक संत के आश्रम में सैकड़ों गायें थी।
गायों के दूध से जो भी धन आता उससे आश्रम का संचालन कार्य होता था।
एक दिन एक शिष्य बोला - गुरु जी आश्रम के दूध में निरंतर पानी मिलाया जा रहा है।
संत ने उसे रोकने का उपाय पूछा तो वह बोला - एक कर्मचारी रख लेते हैं, जो दूध की निगरानी करेगा। संत से स्वीकृति दे दी।
अगले ही दिन कर्मचारी रख लिया गया। तीन दिन बाद व्ही शिष्य फिर आकर संत से बोला - इस कर्मचारी की नियुक्ति के बाद से तो दूध में और भी पानी मिल रहा है।
संत ने कहा - एक और आदमी रख लो, जो पहले वाले पर नजर रखे।
ऐसा ही किया गया। लेकिन दो दिन बाद तो आश्रम में हड़कंप मच गया।
सभी शिष्य संत के पास आकर बोले - आज दूध में पानी तो था ही साथ ही एक मछली भी पाई गई। तब संत ने कहा - तुम मिलावट रोकने के लिए जितने अधिक निरीक्षक रखोगे, मिलावट उतनी ही अधिक होगी, क्योंकि पहले इस अनैतिक कार्य में कम कर्मचारियों का हिस्सा होता था तो कम पानी मिलता था।
एक निरीक्षक रखने से उसके लाभ के मद्देनजर पानी की मात्रा और बढ़ गई।
जब इतना पानी मिलाएंगे तो इसमें मछली नहीं तो क्या मक्खन मिलेगा ?
शिष्यों ने संत से समाधान पूछा तो वे बोले - हमारी सबसे पहले कोशिश यह होनी चाहिए की हम उन लोगों को धर्म के मार्ग पर लाएं।
हमें उनकी मानसिकता बदलकर उन्हें निष्ठावान बनाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि वे यह कृत्य छोड़ दें।
सार यह है कि बुराई पर प्रतिबंध लगाने के स्थान पर यदि आत्म-बोध जाग्रत किया जाए तो व्यक्ति स्वयं ही कुमार्ग का त्याग कर देता है।
बुराई से निपटने का स्टिक उपाय buraee se nipatane ka stik upaay