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Best Friend Shayari in Hindi Language

Best Friend Shayari in Hindi Language

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Best Friend Shayari in Hindi Language

 

Najre milakar hamse najre chura mat lena,

Dost bnakar hamko dushman bana mat lena,

Mana ki hume dar hai aapki esi baat ka,

bahana banakar humko bhula mat dena.

 

Zindagi Rahe Na Rahe hamari Dosti Rahegi,

Paas Rahe Na Rahe hamari Yaadein Rahegi,

Apni Zindagi Mein Hamesha Haste Rehna,

Kyunki Aapki Hasi Me Ek Muskaan hamari Rahegi.

 

Rishton mein Duriya to aati rehti hai,

Dosti sada do Dilon ko milati rehti hai,

Wo Dosti hi kya Jisme Narazgi na ho,

Par Sachi Dosti hamesha Dosto ko Mana leti hai.

 

Dil se likhi baate dil ko chu jaati hai,

Ye aksar ankahi baat keh jati hai,

Kuch log dosti ke mayne badal dete hai.

Or kuch logo ki dosti se duniya badal jati hai.
 

duniya se mile gam to bahut hai,

inn mile gamo se aankhe num to bahut hai,

kab ke mar jaate inn ghamo ke sehkar,

par dosto ki duaaon mein asar bahut hai.

 

Best Friend Shayari in Hindi Language
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सुख देने से ही सुख मिलता है | सुख-दुःख

सुख देने से ही सुख मिलता है | सुख-दुःख

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सुख देने से ही सुख मिलता है | सुख-दुःख

जैसा बीज बोता है वैसा ही फल पाता है । ऐसा कुदरत का नियम है । सुख को बाँटना चाहिए । जैसे फूल के साथ कांटा भी होता है । कांटा फूल की रक्षा के लिए होता है । अगर कोई बुराई भी करता है तो भी धैर्य से काम करना चाहिए । कई बार कई जगह ऐसा भी लिखा है " नेकी कर जूते खा, मैंने खाये तू भी खा । " कुछ लोगों का ऐसा मानना भी है । हो सकता है किसी को धोखा हुआ हो । हर धोखे के पीछे इन्सान की अपनी कमजोरी होती है या आलस होता है । कहावत असली यही है - " नेकी कर कुएं में डाल " नेकी करके उसे भूल जा । गन्दे आदमी की तरफ मत ध्यान दे । हर तरफ के इन्सान दुनिया में हैं । कुछ अच्छे और कुछ बुरे ।

 

कुदरत ने इन्सान को ईमानदार ही बनाया है । जब कोई अच्छा काम देखता है उसे अच्छा लगता है ।

जब गर्मी में ठण्डा पानी किसी प्याऊ से पीता है एक बार उसके मन में ध्यान आता है कि रब के बन्दे ने यह पानी का प्याऊ लगाया है ।

काम में भी ऐसा ही होता है । अच्छाई देखकर इन्सान का मन पिघल जाता है ।

उसका मन भी करता है कि मैं भी कुछ जरूर करुं ।

खासकर जब इन्सान बड़ी उम्र का होता है तो ईश्वर की बहुत याद आती है, क्योंकि एक समय बाद उसे हर हालत में जाना होता है ।

चाहे राजा हो या रंक, सब को सफर करना होता है । किसी का सफर आसान होता है । किसी का मुश्किल होता है ।

करना सब को पड़ता है । कभी-कभी इन्सान सोचता है कि मैंने किसी का बुरा नहीं किया, जितना भला हो सकता किया ।

यही सोच बार-बार उसे तसल्ली देती है । दिया हुआ सुख मरहम का काम करता है ।

इसलिए इन्सान तू जाग, देख तू कुछ कर सकता है तो जरूर कर । सुख न भी दे, मगर दुःख भी किसी को मत दे । यह भी एक सूत्र है ।

जब कोई चीज किसी को दी जाती है तो मन में सन्तोष उतपन्न होता है ।

सन्तोष का दूसरा नाम सुख है । दोनों सगे भाइयों की तरह हैं ।

पहले सन्तोष होता है फिर सुख का अनुभव होता है । दिल में किसी चीज की चाह होती है तो दिल में उस के प्रति लगाव तंग करता है ।

वो दुःख का कारण बनता है । सब चीजें सब के पास नहीं होती हैं ।

कुल मिलाकर देने से ही मन में सकून मिलता है । जब इन्सान बुढ़ापे की ओर बढ़ता है तो दिया हुआ बहुत याद आता है ।

मन में सन्तोष भी होता है । अगर किसी को कोई चीज देनी है तो देने से भी ज्यादा ली हुई चीज की याद आती है और कोशिश करता है कि वापस क्र दूं ।

फिर टाइम निकल चुका होता है करने की इच्छा भी होती है, मगर होता कुछ नहीं । दिया और किसी को जाता है । लिया किसी और से जाता है । इसलिए देना-लेना बराबरी नहीं होता ।

सुख देने से ही सुख मिलता है | सुख-दुःख
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कर्म करने में सुख हैं | कर्म करो और सुख लो यही नीति है

कर्म करने में सुख हैं | कर्म करो और सुख लो यही नीति है

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कर्म करने में सुख हैं | कर्म करो और सुख लो यही नीति है

कोई इन्सान यह सोचे की मैं अमीर बन जाऊँ तो मुझे सुख मिलेगा । सुख का अमीरों से कोई रिश्ता नहीं है ।

सुख का रिश्ता करने से है जो आदमी करता है उसके पास सुख होता है पैसा है । सेहत ठीक नहीं तो सुख नहीं मिलेगा ।

एक बार फोर्ड अपने दफ्तर में खड़ा था, कहते हैं फोर्ड दुनिया में सबसे अधिक पैसे वाला इन्सान था ।

जिसकी फोर्ड गाड़ियां चलती हैं दुनिया में मंहगी कार उसकी बनती है ।

लंच टाईम था उसकी लेबर कारखाने में काम करने वाले वापस में हंसी मजाक कर रहे थे और मस्ती से भोजन खा रहे थे और फोर्ड ऊपर से देख रहा था और सोच रहा था काश मैं भी इनमें एक होता है तो आज खाता पीता ।

मुझे डॉक्टर अभी गोली खाने को कहेगा । मैं सब के साथ हंस नहीं सकता, खा नहीं सकता हूँ बस पैसा ही पैसा मेरे सामने है ।

कहने का कतलब यह है कि पैसा बुरी चीज नहीं, अगर उसको ईश्वरी ढंग से कमाया जाए और खर्च किया जाए ।

एक कर्म तो वो होता है जो पैसा के लिए किया जाए, दूसरा वो जो नाम के लिए किया जाए या किसी परलोक के लिए किया जाए ।

एक कर्म निःस्वार्थ होता है । जो लोग विना मतलब के कर्म करते हैं वो बहुत तरक्की करते हैं चाहे उनके पास पैसा कम हो मगर उनका कर्म सबसे उत्तम होता है ।

जैसे-जैसे इन्सान कर्म करता है उसको कुछ सीखने को मिलता है । जो सीख जाता है वो कुछ बन जाता है, जो बन जाता है वो ही मास्टर कहलाता है ।

जब आप किसी चीज के मास्टर हो जायेंगे तो दुनिया को रास्ता दिखा सकते हैं ।

दुनिया आपके पीछे चलती रहेगी, पैसा फिर गौण हो जाता है । आज कोई नोकरी करनी होती है तो पी. एच-डी की जरूरत पड़ती है तब अच्छी नोकरी मिलती है ।

सरकार पूछती है आपने कुछ नया तरीका किया है, दुनिया को बताया है, किसी चीज में मास्टरी की है, यह करने का युग है किसी को कुछ बनना है तो कुछ करना पड़ेगा । संसार को देखे समझे, यही पैसे का सुख है ।

कश्मीर तो अच्छा है अगर टाँगे चल सके एक आदमी अपने परिवार को लेकर कश्मीर गया ।

पैसा बहुत कम था फिर भी वो नौ दिन काश्मीर रहा और जैसे-तैसे उसने अपने साधनों में रह कर ही गुजारा किया ।

एक आदमी ने उससे पूछा- तुम इतने थोड़े पैसे लेकर काश्मीर आ गए ।

वो इन्सान बोला - बाबू क्या करे जब पैसा होगा तो टांगे जबाब दे देंगी । फर्क इतना है कि लोग टैक्सी में घूमते हैं हम बस में । हवा दोनों को एक जैसी ही लगती है । करो और सुख लो यही नीति है इसी में सुख है ।

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कर्म ही श्रेष्ठ है | कर्म कर फल की इच्छा मत कर | कर्म ही पूजा है

कर्म ही श्रेष्ठ है | कर्म कर फल की इच्छा मत कर | कर्म ही पूजा है

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कर्म ही श्रेष्ठ है | कर्म कर फल की इच्छा मत कर | कर्म ही पूजा है

यह वाक्य कई जरूरी जगहों पर लिखा होता है । रेलवे स्टेशनों पर, आम दफ्तरों में लिखा होता है । कर्म करना इन्सान का पहला धर्म है ।

कई लोग कर्म को भाग्य रेखा मानते हैं । वो कर्म दूसरा है । यह कर्म गीता वाला कर्म है । गीता में लिखा है - " कर्म ही श्रेष्ठ है, कर्म कर फल की इच्छा मत कर " 

कबीर ने अपनी वाणी में कर्म योग पर ही अपना तर्क दिया है । जो आदमी स्टेशन की ओर चल देता है उसको तो गाड़ी मिल सकती है ।

जो चला ही नहीं उसको तो मिल ही नहीं सकती । आर्यसमाज का भी यही नियम है ।

कर्म करना इन्सान का पहला लक्ष्य होना चाहिए । तकरीबन सब धर्म-कर्म की व्याख्या करते हैं ।

अपना-अपना ढंग है । आज तो विज्ञान का युग है । करने को ही कर्म कहते हैं ।

कहीं पर दुनिया में ऐसा नहीं लिखा है कि भाग्य के भरोसे रहो ।

कर्म करने से बड़ा आनंद मिलता है । दिशा सही हो तो और भी आनंद आता है ।

कर्म करने का तरीका भी होता है । कर्म करने से पहले ज्ञान का होना जरूरी है । फिर उसको मानना जरूरी होता है । फिर करना जरूरी होता है ।

कर्म तो सभी करते हैं । कर्म अगर ज्ञान को जानकर किया जाय तो बहुत तरक्की होती है ।

कई लोग कर्म तो करते हैं, मगर कभी-कभी दिशा हीन हो जाते हैं । उनका कर्म ज्यादा सफल नहीं होता । पक्के इरादे से किया कर्म ही ज्यादा

कारगर होता है । कई लोगों की शिकायत रहती है कि हम कर्म तो करते हैं मगर कामयाबी नहीं मिलती । उनकी दिशा में कोई खराबी जरूर होगी । सब को अच्छा गुरु मिलना आसान काम नहीं है । सुखी रहने के लिए अच्छे गुरु की तलाश जरूरी है । ऐसा ही नियम है । अच्छा साहित्य भी काम आता है ।

कर्म ही श्रेष्ठ है | कर्म कर फल की इच्छा मत कर | कर्म ही पूजा है
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