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मशरूम की खेती कैसे की जाती है ? तथा इसके लाभ

मशरूम की खेती कैसे की जाती है ? तथा इसके लाभ

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मशरूम की खेती कैसे की जाती है ? तथा इसके लाभ

  • मशरूम एक कवक है जो स्वादिष्ट एवं पौष्टिक सब्जी के रूप में प्रयुक्त होता है, इसमें कार्बोहाइड्रेट एवं चर्बी की मात्रा कम तथा प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है |
  • इसको बिना मृदा के धान के पुआल एवं गेहूं के भूसे आदि पर सुगमता से उगाया जा सकता है |
  • इसके लिए उचित तापमान 22-30॰ तथा आद्रता 80-90॰ उपयुक्त पाई जाती है इसके तीन प्रकार है –
  • 1.बटन
  • 2.पैडी स्ट्रा
  • 3.ढींगरी
  • मौसमी उत्पादकों में भारत के पश्चिमोत्तर मैदानी इलाके के उत्पादक भी शामिल हैं जो बटन मशरुम की एक शीतकालीन फसल पैदा करते हैं और ताजा-ताजा बेच देते हैं।
  • मशरुम 30-35 दिनों में नजर आने लगता है। यह कुकुरमुत्ता फल वाला हिस्सा विकसित होने लगता है इसे तब काट लिया जाता है जब इसका बटन कड़ा होकर बंद हो जाता है।
  • 8 से 10 सप्ताह के एक फसल चक्र के दौरान प्रति वर्गमीटर में 10 किलोग्राम मशरुम पैदा होता है। काटे गए मशरुम को बाजार में सप्लाई के लिए पैक किया जा सकता है।
  • मशरूम खेती का भविष्य उज्जवल है इसकी मांग 7.5 % वार्षिक कर दर से बढ़ रही है 1985 में जहां इसका उत्पादन मात्र 4000 टन था वहीं 2003 में बढ़कर 50000 टन हो गया |
  • इसमें 85 प्रतिशत भाग दो बटन मशरूम का रहा है मशरूम उत्पादन में हिमाचल प्रदेश हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा उत्तरांचल क्रमश: आगे हैं |

मशरूम की खेती कैसे की जाती है ? तथा इसके लाभ

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