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क्या थायराइड रोग का बॉडी के कोलेस्ट्रॉल लेवल पर पड़ता है असर? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

क्या थायराइड रोग का बॉडी के कोलेस्ट्रॉल लेवल पर पड़ता है असर? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

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क्या थायराइड रोग का बॉडी के कोलेस्ट्रॉल लेवल पर पड़ता है असर? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

 
थायराइड एक ऐसी समस्या है, जो हमारे शरीर को धीरे-धीरे प्रभावित करती है। इसलिए कई लोग इसे साइलेंट किलर भी कगते हैं। थायराइड से ग्रसित होने के बाद अगर आप जरा सी भी लापरवाही करते हैं, तो कई अन्य समस्याओं के शिकार होने की संभावना बढ़ जाती है। इन्हीं समस्याओं में कोलेस्ट्रॉल की समस्या भी शामिल है। हालांकि, कोलेस्ट्रॉल अनहेल्दी फूड्स और अनुवांशिक कारणों से हो सकता है। लेकिन कुछ मेडिकल कंडीशन की वजह से भी व्यक्ति कोलेस्ट्रॉस से प्रभावित हो सकता है। दिल्ली के मैक्स हॉस्टिपल की डॉक्टर गुंजन मित्तल का कहना है कि हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड) वाले व्यक्ति को एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर उच्च हो सकता है। 
हाइपोथायरायडिज्म ट्राइग्लिसराइड्स (triglyceride) के उच्च स्तर (ब्लड फैट, जो कोलेस्ट्रॉल से संबंधित होता है।) से भी संबंधित हो सकती है। उन दोनों ही स्थितियों में हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, हाइपरथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड), हाइपोथायरायडिज्म जितना आम नहीं है। यह गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। यदि आपको हाइपरथायरायडिज्म की समस्या है, तो इस स्थिति में मरीज को कोलेस्ट्रॉल का स्तर जांचने की आवश्यकता होती है। 

थायराइड और कोलेस्ट्रॉल के बीच संबंध (link between thyroid and cholesterol)

कोलेस्ट्रॉल हमारे ब्लड में मोम जैसा पदार्थ है। जिसका निर्माण हमारा शरीर करता है। यह एनिमल फूड्स में भी पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल दो अलग-अलग तरह के होते हैं। 

एचडीएल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल - शरीर में एचडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने से हृदय रोग और अन्य गंभीर समस्याएं होने का खतरा रहता है। खासतौर पर जब अगर आपके शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का स्तर अधिक है।

एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल - जब आपके शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर बहुत अधिक होता है, तो आपकी धमनियां बहुत संकीर्ण हो सकती हैं, जो ब्लड सर्कुलेशन में अवरुद्ध उत्पन्न कर सकती हैं। ऐसे में व्यक्ति को स्ट्रोक और दिल की बीमारी होने का खतरा रहता है। 

ट्राइग्लिसराइड्स हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से मौजूद वसा होता है, जो हमारे शरीर में प्रसारित होते हैं, जिन्हें वसा कोशिकाओं में संग्रहित किया जा सकता है। ट्राइग्लिसराइड्स कोलेस्ट्रॉल नहीं है, लेकिन इनके स्तर को एचडीएल और एलडीएल के साथ मापा जाता है ताकि हृदय में किसी भी तरह की समस्या होने पर इसको निर्धारित किया जा सके। 

थायराइड हमारे गर्दन में मौजूद एक तितलीनुमा ग्रंथि होती है। यह थायरॉक्सीन नामक हार्मोन रिलीज करती है, जो हमारे शरीर के चयापचय को नियंत्रित करने में मदद करती है। जब किसी व्यक्ति को हाइपोथायरायडिज्म होता है, तो उस व्यक्ति का शरीर पर्याप्त रूप से थायराइड हार्मोन नहीं बना पाता है। यह हार्मोन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है। रिसर्च के मुताबिक, थायराइड हार्मोन का स्तर कम होने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर में वृद्धि हो सकती है।

इतना ही नहीं, लिवर थायराइड हार्मोन को ब्लड शुद्ध करने में मदद कर सकता है। जब हमारे शरीर में थायराइड हार्मोन का स्तर कम होता है, तो हमारा लिवर रक्त को काफी धीरे-धीरे प्रोसेस्ड पाता है, जिसकी वजह से ब्लड सर्कुलेशन में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक हो सकता है। यह हमारी धमनियों में कोलेस्ट्रॉल के निर्माण का कारण बन सकता है।

उच्च कोलेस्ट्रॉल और थायराइड का इलाज (Thyroid and Cholesterol Treatment)

डॉक्टर का कहना है कि थायराइड का समय पर इलाज करके शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार किया जा  सकता है। इसके लिए डॉक्टर थायराइड रिप्लेसमेंट हार्मोन दवाओं के साथ हाइपोथायरायडिज्म का इलाज करने की सलाह दे सकते हैं। हालांकि, थायराइड का कोई विशेष इलाज नहीं उपलब्ध नहीं होता है, जो थायराइड को जड़ से खत्म कर सके। हालांकि, इसके स्तर में सुधार की कोशिश की जाती है। जिसके लिए डॉक्टर आपको  बेहतर लाइफस्टाइल और खानपान की सलाह दे सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर आपको स्वस्थ आहार, नियमित रूप से एक्सरसाइज और कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवा का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं।

थायराइड हार्मोन का स्तर कम होने से कई समस्याएं हो सकती हैं। इससे कोलेस्ट्रॉल होने की भी संभावना है। लेकिन ध्यान रखें कि थायराइड हार्मोन को बेहतर लाइफस्टाइल और खानपान से कंट्रोल किया जा  सकता है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह पर उचित लाइफस्टाइल फॉलो करें।

थायराइड हमारे गर्दन में स्थित एक तितलीनुमा ग्रंथि है, जिसमें से थायरॉक्सिन नामक हार्मोन का स्त्राव होता है। यह हार्मोन हमारे शरीर की कई क्रियाओं को नियंत्रित करने का कार्य करती है। ऐसे में थायराइड में किसी भी तरह की परेशानी होने पर थायरॉक्सिन हार्मोन भी अंतुलित होने लगता है। जिसकी वजह से शरीर में कई तरह की परेशानी जैसे- मोटापा, बालों झड़ना, वजन कम या ज्यादा होना, दिल की धड़कने तेज होना इत्यादि समस्याओं से जूझ़ना पड़ता है। ऐसे में थायराइड से ग्रसित मरीजों को अपने सेहत का खास ध्यान रखना चाहिए। खासतौर पर लाइफस्टाइल और खानपान पर इन मरीजों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। 

थायराइड में कई तरह की चीजों को खाने से परहेज किया जाता है। वहीं, कुछ ऐसी चीजें भी शामिल होती हैं, जिसका सेवन करने की सलाह दी जाती है। इन्हीं में से एक है एलोवेरा जूस, यह जूस सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। साथ ही थायराइड रोगियों के लिए भी एलोवेरा जूस लाभकारी हो सकता है।  आइए विस्तार से जानते हैं थायराइड में एलोवेरा जूस के क्या क्या फायदे होते हैं?

थायराइड में एलोवेरा जूस पीने के फायदे (Aloe vera Juice for Thyroid)

थायराइड में एलोवेरा जूस पीने से थायराइड की कई परेशानियों जैसे- मोटापा, बालों का झड़ना, स्किन पर सूजन को कम किया जा सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं एलोवेरा जूस पीने के फायदे-

सूजन से राहत

थायराइड रोगियों को चेहरे और हाथ-पैरों में सूजन की परेशानी होती है। इस परेशानी को दूर करने में एलोवेरा जूस आपकी मदद कर सकता है। दरअसल, एलोवेरा जूस में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है, जो सूजन को कम करने में लाभकारी है। शरीर के सूजन को कम करने के लिए आप एलोवेरा जूस पी भी सकते हैं। साथ ही इसका लेप भी प्रभावित हिस्से पर लगा सकते हैं। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा। 

जोड़ों में दर्द

थायराइड रोगियों को जोड़ों और शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द की परेशानी काफी ज्यादा होती है। ऐसे में एलोवेरा जूस आपके लिए लाभकारी हो सकता है। नियमित रूप से एलोवेरा जूस पीने या फिर प्रभावित हिस्से पर लगाने से जोड़ों में दर्द की परेशानी दूर होगी।

हाशिमोटा थायराइड की परेशानी करे कम

एलोवेरा जूस का नियमित रूप से सेवन करने से हाशिमोटा थायराइड के लक्षणों को कम किया जा सकता है। यह एक ऐसा ऑटोइम्यून समस्या है, जिसमें हमारी बॉडी का इम्यून सिस्टम स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करने लगता है। इस स्थिति में रोगियों के लिए एलोवेरा जूस लाभकारी होता है।

कैसे पिएं एलोवेरा जूस

थायराइड रोगियों के लिए एलोवेरा जूस औषधि के समान कार्य करता है। इसका सेवन आप रोजाना सुबह खाली पेट करें। इसका सेवन करने के लिए 2 चम्मच एलोवेरा जूस में तुलसी के रस की कुछ बूदें डालकर पिएं। रोजाना इस जूस का सेवन करने से आपको काफी लाभ होगा। रोजाना 50 ml एलोवेरा जूस पीने से थायराइड की परेशानियों को कम किया जा सकता है। 

थायराइड रोगियों के लिए एलोवेरा जूस काफी लाभकारी हो सकता है। इससे शरीर की कई परेशानी दूर होती है। लेकिन ध्यान रखें कि अगर आप पहले से ही किसी समस्या से जूझ रहे हैं, तो डॉक्टर की सलाह पर ही किसी भी चीज का सेवन करें। ताकि आपकी समस्या का सही इलाज हो सके।

क्या थायराइड रोग का बॉडी के कोलेस्ट्रॉल लेवल पर पड़ता है असर? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

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