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kya kiya jaye hindi poem

kya kiya jaye hindi poem

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मकान जले तो बीमा ले सकते हैं,
सपने जले तो क्या किया जाए…

आसमान बरसे तो छाता ले सकते हैं,
आँख बरसे तो क्या किया जाए…

शेर दहाड़े तो भाग सकते हैं।
अहंकार दहाड़े तो क्या किया जाए…

काँटा चुभे तो निकाल सकते हैं।
कोई बात चुभे तो क्या किया जाए…

दर्द हो तो गोली (medicine) ले सकते हैं।
वेदना हो तो क्या किया जाये…

kya kiya jaye hindi poem
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jindgi hindi poem

jindgi hindi poem

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पाने को कुछ नहीं,
ले जाने को कुछ नहीं;
उड़ जाएंगे एक दिन…
तस्वीर से रंगों की तरह!
हम वक्त की टहनी पर…
बैठे हैं परिंदों की तरह !
खटखटाते रहिए दरवाजा…
एक दूसरे के मन का
मुलाकातें ना सही,
आहटें आती रहनी चाहिए
ना राज़ है… “ज़िन्दगी”
ना नाराज़ है… “ज़िन्दगी”
बस जो है, वो आज है… “ज़िन्दगी”

jindgi hindi poem
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