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pyar me aksar hindi poem

pyar me aksar hindi poem

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थोड़ी खामोशी रखो और रिश्तों को कहने दो
ना बांधों ना बँधो, निश्छल स्वरूप में बस बहने दो!

प्यार है सच्चा, तो भरोशा भी पक्का ही रखो
बढ़ने दो उम्र को, दिल को हमेशा बच्चा ही रखो!

थोड़ी सी नोक झोंक तो रिश्तों में जरुरी है बहुत
प्यार का रंग गहरा और शिकवों का हल्का ही रखो!

जो रूठ जाये कोई, तो मना लो करके प्यार की बातें
रिश्तों में परवा जरुरी है बहुत,
इस बात का हमेशा एहसास रखो!

प्यार में अक्सर,
आप से तुम, तुम से तू होना लाज़मी है बहुत
खूबसूरत रहेगा रिश्ता हमेशा
बस एक दूसरे के बिचारों का, दिल से सम्मान रखो!

pyar me aksar hindi poem
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jivan ka bhar hindi poem

jivan ka bhar hindi poem

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“जो कुछ हो, मैं न सम्हालूँगा इस मधुर भार को जीवन के.
आने दो कितनी आती हैं बाधायें दम-संयम बन के ।

नक्षत्रो, तुम क्या देखोगे-इस ऊषा की लाली क्या है?
संकल्प भर रहा है उनमें संदेहों की जाली क्या है?

कौशल यह कोमल कितना है सुषमा दुर्भेद्य बनेगी क्या?
चेतना इंद्रियों की मेरी मेरी ही हार बनेगी क्या?”

“पीता हूँ, हाँ, मैं पीता हूँ-यह स्पर्श, रूप, रस, गंध भरा,
मधु, लहरों के टकराने से ध्वनि में है क्या गुंजार भरा।

तारा बनकर यह बिखर रहा क्यों स्वप्नों का उन्माद अरे!
मादकता-माती नींद लिये सोऊँ मन में अवसाद भरे।

चेतना शिथिल-सी होती है उन अंधकार की लहरों में,
मनु डूब चले धीरे-धीरे रजनी के पिछले पहरों में ।

उस दूर क्षितिज में सृष्टि बनी स्मृतियों की संचित छाया से,
इस मन को है विश्राम कहाँ! चंचल यह अपनी माया से।

jivan ka bhar hindi poem
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