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hjar dukhde shti hai maa hindi poem

hjar dukhde shti hai maa hindi poem

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हजारो दुखड़े सहती है माँ
फिर भी कुछ ना कहती है माँ
हमारा बेटा फले और फुले

यही तो मंतर पढ़ती है माँ
हमारे कपड़े कलम और कॉपी
बड़े जतन से रखती है माँ

बना रहे घर बंटे न आँगन
इसी से सबकी सहती है माँ
रहे सलामत चिराग घर का

यही दुआ बस करती है माँ
बढ़े उदासी मन मे जब जब
बहुत याद मे रहती है माँ

नजर का कांटा कहते है सब
जिगर का टुकड़ा कहती है माँ
मेरे हृदय मे हरदम
ईश्वर जैसी रहती है माँ

hjar dukhde shti hai maa hindi poem
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