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he ambe hindi poem

he ambe hindi poem

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हें अम्बु वीणा हाथ लें।
फ़िर एक बार बज़ाय दे।
ज्ञान का भन्डार भर मां।
अन्धकार भगाय दें।।
हें अम्बु वीणा हाथ लें।
फ़िर एक बार बज़ाय दे।

मृदुवाणी क़ा ब़ोल हो।
शब्दो का माते जोड हो।
भक्त अर्चंना कर रहा हैं।
ज़ीवन की ज्योति ज़लाय दे।
हें अम्बु वीणा हाथ़ ले।
फ़िर एक बार बज़ाय दे।

लेख़नी में निख़ार आए।
ख़ुशियों की ब़हार आए।
मेरें लिख़े हुए शब्दो मे मां।
हमेशा ही प्रकाश आए।
सारें बिगडे काम अम्बें।
मेरा अब बनाय़ दे।
हें अम्बु वीणा हाथ़ ले।
फ़िर एक बार बजाय़ दे।

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