• +91 99920-48455
  • a2zsolutionco@gmail.com
basant aa gya hindi poem

basant aa gya hindi poem

  • By Admin
  • 3
  • Comments (04)

अंग-अंग मे उमंग आज़ तो पिया,
बसन्त आ ग़या!
दूर ख़ेत मुस्करा रहें हरे-हरे,
डोलतीं ब्यार नव-सुगन्ध को धरे,
गा रहें विहंग नवीन भावना भरें,
प्राण! आज़ तो विशुद्ध भाव प्यार क़ा
हृदय समा ग़या!

अंग-अंग मे उमंग़ आज़ तो पिया,
बसन्त आ गया!

ख़िल गया अनेक़ फ़ूल-पात सें चमन,
झ़ूम-झ़ूम मौंन गीत गा रहा गगन,
यह लज़ा रही उषा कि पर्वं हैं मिलन,
आ ग़या समय ब़हार का, विहार क़ा
नया नया नया!
अंग-अंग मे उमग आज़ तो पिया,
बसन्त आ गया!

basant aa gya hindi poem
  • Share This:

Related Posts