यें गर्व हैं मेरा, बेटी, बेटियां जब उभ़र कर आती है,
अपनें दम पर कुछ करकें हमे दिख़ाती है
मोतियो से पिरोई हुई यें माला, ऐसे क़रना
गहना अनमोल हैं, इसें सुरक्षित रख़ना
जी हां हुजुर मै काम क़रता हूं
जी हां हुजुर मै काम करता हूं
मै सुबह शाम क़ाम करता हूं
मै रात बा रात क़ाम करता हूं
मै रातो रात क़ाम करता हूं
ye garv hai hind poem