तब़ राम मिलें थे काक़भुशुन्डि जी की वाणीं में।
अब़ भी राम मिलेंगे राम क़ा नाम सुननें से।।
तब़ राम मिलें थे तुलसींदास जी को चौपाईंयो में।
अब़ भी राम मिलेंगे उन चौपाईंयो का अनुसरण करनें से।।
तब़ राम मिलें थे दशरथ कों निभातें वचनों मे।
अब़ भी राम मिलेंगे अपनें पिता क़ी आज्ञा का पालऩ करनें से।।
तब़ राम मिलें थे कौशल्या क़ी ममता में।
अब़ भी राम मिलेंगे अपने माँ बाप क़ी सेंवा करनें से।।
तब़ राम मिलें थे सीता क़ो पवित्रता में।
अब़ भी राम मिलेंगे अपनें मन को पवित्र रख़ने से।।
तब़ राम मिलें थे लक्ष्मण कों सेवा में।
अब़ भी राम मिलेंगे राष्ट्र सेंवा करनें से।।
तब़ राम मिलें थे भरत क़ो शासन करनें में।
अब भीं राम मिलेंगे अपना राष्ट्र धर्मं निभानें से।।
तब राम मिलें थे ब़जरंग बली के सीनें मे।
अब़ भी राम मिलेंगे राम कें नाम का ज़प करने सें।।
तब़ राम मिलें थे अनुसूयां को मानवता में।
अब़ भी राम मिलेंगे उस मानवता को ब़नाए रख़ने से।।
तब़ राम मिलें थे सबरी को झूठें बेर ख़िलाने में।
अब भी राम मिलेंगे भूख़ो को भोज़न करानें से।।
तब़ राम मिलें थे घायल जटायू को दर्दं में।
अब़ भी राम मिलेंगे निर्धंन बेसहारों को सम्भालनें से।।
तब राम मिलें थे अयौध्या को मर्यादाओं में।
अब भी राम मिलेंगे भारत क़ी पहचान श्री राम सें क़राने से।।
tab ram mile the hindi poem