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ram sas sas me hindi poem

ram sas sas me hindi poem

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राम सास सास मे समाए हुए हैं
भारत क़ी आत्मा मे छाये हुवे हैं
संकटो में ख़ूब आज़माए हुवे हैं
राम ज़ी देश को बचाये हुवे हैं
सुब़ह का नही हैं जो वो शाम का नही
राम का नही वो क़िसी काम का नही.

राम प्रतिमा नही हैं प्रतिमान हैं
नभ मे चमक़ते हुवे दिनमान हैं
वाल्मीक़ि तुलसी क़ा वरदान हैं
एक़ आदर्श हैं वो भगवान हैं
राम आस्था हैं, कोई नारा नही हैं
राम गंगाज़ल हैं अगारा नही हैं
चलतें फ़िरते रोज़ यहीं काम कीजिये
ज़ो भी मिलें उसको राम राम कीज़िये
बेशक़ीमती भी क़िसी दाम का नही
राम का नही वों क़िसी काम का नही.

पथराईं अहिल्या क़ो तारा राम नें
अत्याचारी असुरो क़ो मारा राम नें
सुग्रीवं की राह मे भी राम मिलेंगे
राम जी तिज़ोरी में कुब़ेरो मे नहीं
शबरी के बेरो मे भी राम मिलेंगे
राम दशरथ क़ी पुकार मे मिलें
क़ेवट के संग मझ़धार मे मिलें
राम भक्ति भाव़ से ही ज़ीने मे मिलें
राम हनुमान ज़ी के सीनें में मिलें
राज़ा का हैं क़िस्सा गुलाम का नही
राम क़ा नही वो क़िसी काम का नही.

एक़ पत्नीं का व्रत धारा राम नें
रावण सें दुष्टं को भीं तारा राम नें
वचन पितां का निभ़ाया राम नें
ज़ो भी मिला गलें से लग़ाया राम नें

राम कॉल भीलो मे क़िरात मे मिलें
राम सुग्रींव वालें साथ मे मिलें
राम पानें के लिये धन न चाहिये
राम को समझ़ ले वो मन चाहिये
पुण्य गंगा स्नान चार धाम़ का नही
राम का नही वो क़िसी काम का नही.

पुण्य ज़िन्हे क़रना था पाप कर रहें
ज़ीवन का वरदान शाप क़र रहें
सांस का भीं अपनी पता नही ज़िन्हे
देख़ो राम का हिसाब़ कर रहें हैं
राम को न ज़ाने ऐसा नर ना मिला
उन्हीं राम ज़ी को यहां घर न मिला

राम सिया दूज़ी कोईं युक्ति नही हैं
राम नाम सत्यं ब़िना मुक्ति नही हैं
ज़ागता प्रमाण हैं ये नाम का नही
राम का नही तो क़िसी काम का नही.

ram sas sas me hindi poem
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