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maan me hryali aai hindi poem

maan me hryali aai hindi poem

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मन में हरियाली सी आई,
फूलों ने जब गंध उड़ाई।
भागी ठंडी देर सवेर,
अब ऋतू बसंत है आई।।

कोयल गाती कुहू कुहू,
भंवरे करते हैं गुंजार।
रंग बिरंगी रंगों वाली,
तितलियों की मौज बहार।।

बाग़ में है चिड़ियों का शोर,
नाच रहा जंगल में मोर।
नाचे गायें जितना पर,
दिल मांगे ‘वन्स मोर’।।

होंठों पर मुस्कान सजाकर,
मस्ती में रस प्रेम का घोले।
‘दीप’ बसंत सीखाता हमको,
न किसी से कड़वा बोलें।।

maan me hryali aai hindi poem
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